जमशेदपुर: झारखंड सरकार के द्वारा 3712 उर्दू शिक्षकों के पद को बंद करना अल्पसंख्यकों की ज़ुबान काटने जैसा है, उक्त बातें जमशेदपुर के सामाजिक कार्यकर्ता तनवीर अहसन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा. उन्होने कहा उर्दू शिक्षको का पद सरेंडर करने का फरमान अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं से उनकी जुबान और रोजगार छिनने की साजिश है और झारखंड सरकार को इस फैसले को वापस लेना होगा. उन्होंने अल्पसंखयक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन पर भी निशाना साधा है, उन्होंने कहा की एक तरफ अल्पसंखयक कल्याण मंत्री कहते है कोई अरबी नहीं जानता तो उसकी जिंदगी मुकम्मल नहीं है, दुसरी तरफ उनकी सरकार उर्दू भाषा को मिटाने की साजिश रची जा रही है.
क्या है मामला: विद्यालय शिक्षक प्रन्नोति नियमावली 2024 के प्रारुप पर बवाल
यहां ध्यान रहे कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के द्वारा झारखंड राजकीयकृत प्रारम्भिक विद्यालय शिक्षक प्रन्नोति नियमावली 2024 में उर्दू सहायक शिक्षक पद को मरणशील घोषित करार दिया गया है, राज्य सरकार के इस फैसले के बाद अब इस पद पर बहाली नहीं होगी. यहां बता दें कि वर्ष 1999 में बिहार सरकार के द्वारा 4,401 उर्दू शिक्षकों का पद सृजित किया गया था. लेकिन अब सरकार अपने इस फैसले से इसमें से 3712 पदों को सरेंडर करने की तैयारी में है.