झारखंड प्रभारी बनाकर अल्पसंख्यकों को साधने की कोशिश
रांची: कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर के सियासतदान गुलाम अहमद मीर को झारखंड का प्रभारी बनाकर अल्पसंख्यकों को साधने की कोशिश की है। इसे कांग्रेस का डैमेज कंट्रोल माना जा रहा है। क्योंकि, पिछले साल कांग्रेस ने प्रदेश के 24 जिलों में जब जिला अध्यक्षों का ऐलान किया था तो उसमें एक भी मुस्लिम को किसी भी जिले की कमान नहीं सौंप गई थी। इससे अल्पसंख्यक समुदाय में काफी नाराजगी थी। कांग्रेसी नेताओं ने मामले की शिकायत ऊपर तक की थी। हालांकि इसके बाद कांग्रेस ने दो जिलों में मुस्लिम जिला अध्यक्ष बनाए थे। गढ़वा की जिम्मेदारी अब्दुल हक अंसारी और साहिबगंज जिले की कमान बरकतउल्ला खान को सौंपी गई थी। लेकिन इसे अपर्याप्त माना जा रहा था। विपक्षी दल इस मामले को बराबर तूल दे रहा था।विपक्षी दलों का अल्पसंख्यक मोर्चा मुसलमानों को समझाने में जुटा था कि कांग्रेस अब उनसे किनारा करने में लगी हुई है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि गुलाम अहमद मीर को झारखंड में लाकर कांग्रेस मुसलमानों के बीच अपनी छवि को सुधारना चाहती है। ताकि विपक्षी प्रोपेगंडा को खत्म किया जा सके और अपने परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी रोकी जा सके। गौरतलब है कि झारखंड में मुस्लिम समुदाय कांग्रेस को वोट करता है। लेकिन इधर बीच मुस्लिम समुदाय के लोगों को लग रहा था कि कांग्रेस उनकी अनदेखी कर रही है। संगठन में मुसलमानों को हिस्सेदारी नहीं दी जा रही है। लेकिन, अब झारखंड प्रभारी के रूप में गुलाम अहमद मीर के आ जाने के बाद मुस्लिम समुदाय की यह शिकायत दूर हो गई है।
कौन हैं गुलाम अहमद मीर
गुलाम अहमद मीर जम्मू कश्मीर के दुरू विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बने थे। बाद में वह जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी बने। हालांकि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अनंतनाग लोकसभा सीट से नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी से हार गए थे।