रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सियासी शतरंज की बिसात पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को मात दे दी। अमित शाह के ऑपरेशन लोटस को ऐसा फेल किया कि भाजपा राजनीतिक गलियारे में मुंह दिखाने लायक नहीं बची। भाजपा का मोहरा बन कभी शिबू सोरेन के करीबी माने जाने वाले चंपई सोरेन भी पछता रहे हैं। उन्होंने झामुमो में अपनी साख वापस पाने के लिए काफी हाथ पैर मारा। लेकिन, कोई कामयाबी नहीं मिली। अब चंपई सोरेन राजनीतिक कोमा में चले गए हैं। जानिए किस तरह भाजपा ने ऑपरेशन लोटस शुरू किया। इस ऑपरेशन का क्या मकसद था और किस तरह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ऑपरेशन लोटस की हवा निकाल दी।
सरकार गिरा कर राष्ट्रपति शासन लगाना चाहती थी भाजपा
भाजपा ने प्लान बनाया था कि विधानसभा चुनाव राष्ट्रपति शासन या फिर उसकी अपनी कठपुतली सरकार में हो। इसके लिए उसने चंपई सोरेन को तैयार किया। चंपई सोरेन को सात विधायकों के साथ भाजपा में आना था। चंपई सोरेन के सात विधायकों के साथ अलग होने पर या तो भाजपा उन्हें समर्थन देकर
उनकी सरकार बनवा देती या फिर झामुमो सरकार गिरा कर राष्ट्रपति शासन लगती और फिर विधानसभा चुनाव होते।
एक न्यूज़ चैनल के मालिक कर रहे थे लीड
पर्दे के पीछे भाजपा के बड़े-बड़े नेता थे। लेकिन परदे के सामने से झारखंड के एक न्यूज़ चैनल के मालिक पूरे मामले को लीड कर रहे थे। वही चंपई सोरेन को लगातार हिदायत दे रहे थे। मामले में पूरा मीडिया मैनेजमेंट इन्हीं का था। चंपई सोरेन को कोलकाता लेकर जाना, होटल में ठहराना, भाजपा के एक बड़े नेता से मुलाकात करना और फिर चंपई सोरेन को लेकर दिल्ली जाने का काम इन्हीं का था। चंपई सोरेन के साथ दिल्ली में यह मौजूद रहे। इन्हीं के चैनल के एक कर्मचारी ने वह भावनात्मक मैसेज भी लिखा जिसे चंपई सोरेन ने अपने सोशल मीडिया के जरिए जारी किया था।
हेमंत सोरेन को लग गई थी ऑपरेशन की भनक
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन पहले ही कई गतिविधियां कर चुके थे। इससे झामुमो को उन पर शक था। चंपई सोरेन ने घुसपैठियों को लेकर उठ रही बातों को गंभीरता से लेने और जांच करने वाला बयान दिया। इसके अलावा कई बातें ऐसी थीं, जिससे ऐसा लग रहा था कि वह भाजपा से संपर्क में हैं। चंपई सोरेन ने जब सात विधायक जुटाने के लिए विधायकों से संपर्क करना शुरू किया तो इसकी जानकारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक पहुंच गई। जानकारी मिलते ही हेमंत सोरेन और झामुमो की सारी कैबिनेट चौकन्ना हो गई। जिन विधायकों पर चंपई सोरेन की नजर थी सबको सेट किया गया। चंपई सोरेन ने सभी विधायकों से बात कर ली थी। सभी को लालच दिया गया था। इनमें से कुछ ने हामी भी भर ली थी।
विधायकों ने साथ जाने से कर दिया इन्कार
चंपई सोरेन की तरफ से भाजपा के आलाकमान को बता दिया गया था कि गेम तैयार है। लेकिन, फिर अचानक विधायकों ने हामी भरी थी। उन्होंने इस ऑपरेशन में शामिल होने से मना कर दिया। क्योंकि पूरा ऑपरेशन लीक हो चुका था। इसके बाद चंपई सोरेन खुद को ठगा महसूस करने लगे। वह सरायकेला इलाके में पहुंच गए। उनका संपर्क झामुमो से भी टूट चुका था। सात विधायक नहीं जुटा पाने पर भाजपा भी भाव नहीं दे रही थी। यही नहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी समेत कई नेता चंपई सोरेन के विरोध में उतर गए। तब चंपई सोरेन की तरफ से मीडिया मैनेजमेंट का काम शुरू हुआ कि झामुमो को दबाव में लिया जा सके। इसीलिए यह खबर फैलाई गई की चंपई सोरेन दिल्ली पहुंच रहे हैं। ताकि घबराकर झामुमो के नेता उन्हें फोन करें और उन्हें भाजपा में न जाने और सरकार न तोड़ने के लिए मनाया जाए। लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सबसे बड़े खिलाड़ी निकले। वह सारी मंशा भांप चुके थे। इसलिए ऐसा कुछ नहीं हुआ।
पोल खुलने के बाद हुआ दिल्ली जाने का सियासी ड्रामा
बाद में मजबूरन चंपई सोरेन को कोलकाता के रास्ते दिल्ली ले जाया गया। मीडिया में अफवाह फैलाई गई कि चंपई के साथ कई विधायक हैं। घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन, सरायकेला के विधायक दशरथ गागराई, बहरागोड़ा के विधायक समीर मोहंती आदि हैं। मगर, इन विधायकों ने रिलीज जारी कर बताया कि वह सभी झारखंड में ही हैं। कहीं नहीं गए हैं। इसके बाद सारा किस्सा पब्लिक के सामने खुलकर आ गया। हर तरफ के राजनीतिक दरवाजे बंद होता देख पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने सोशल मीडिया पर भावनात्मक बयान जारी किया। ताकि शायद झामुमो का दिल पसीज जाए। मीडिया में यह बात फैलाई गई की चंपई सोरेन पूरे कोल्हान का गणित बिगाड़ देंगे। यह भी कहा गया कि चंपई सोरेन आज भाजपा में शामिल हो सकते हैं। ऐसा कर झामुमो को दबाव में लेने की कोशिश की गई। लेकिन झमाओं के वरिष्ठ नेता पूरे मामले को लेकर चंपई सोरेन से नाराज थे। इसी वजह से किसी ने कोई तवज्जो नहीं दी।