जमशेदपुर: आशूर के दिन बुधवार को जमशेदपुर में ताजिया और अलम का जुलूस निकला। मुस्लिम बाहुल्य वाले क्षेत्र या अली या हुसैन के नारों से गूंजते रहे। इसके अलावा, विभिन्न अखाड़ों के जुलूस निकाले गए। मानगो, धतकीडीह, जुगसलाई, साकची आदि इलाकों में सबील लगाई गई और लंगर बांटा गया।
10 वीं मुहर्रम को सुबह साढ़े सात बजे साकची में हुसैनी मिशन के इमामबाड़े से जुलूस निकला। जुलूस साकची गोलचक्कर तक गया। इस जुलूस में मौलाना जकी हैदर करारवी ने मर्सिया पढ़ी। आज शब्बीर पर क्या आलम ए तन्हाई है। ज़ुल्म की चांद पर जहरा के घटा छाई है। मर्सिया के बाद जुलूस वापस हुसैनी मिशन के इमामबाड़े में आकर ख़त्म हुआ। इसके बाद, आशूरा के आमाल हुए। दोपहर को मानगो में जाकिर नगर की इमामबारगाह में मजलिस हुई। इस मजलिस में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के मसाएब पढ़े गए। शाम को ज्यारत ए आशूरा पढ़ी गई। साकची के हुसैनी मिशन के इमामबाड़े में शाम ए गरीबां की मजलिस हुई। इस मजलिस में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद उनके घर की महिलाओं और बच्चों पर जो जुल्म व सितम हुए उसे बयान किया गया। इसके बाद नौहा खानी और सीनाजनी हुई। धतकीडीह में ताजिया का जुलूस निकाला गया। लोग या हुसैन का नारा लगाते हुए चल रहे थे। मानगो में भी विभिन्न अखाड़ों में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की जीत का डंका बजाया गया। मानगो के गांधी मैदान में सितारे इस्लाम अखाड़ा में लंगर का वितरण हुआ। मानगो के ज़ाकिर नगर में शिया मस्जिद के इमामबाड़े में भी शाम ए गरीबां की मजलिस को मौलाना जकी हैदर करारवी ने खिताब फरमाया।