जमशेदपुर लोक सभा क्षेत्र से भाजपा को छोड़कर किसी भी दल ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। अभी यह भी भी तय नहीं हो पा रहा है कि यह सीट किस गठबंधन दल के खाते में जाएगी।ऐसे में भाजपा फ्रंट फुट पर खेलने की बात कह सकती है परन्तु अंदरखाने में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इस सीट पर वर्तमान सांसद तीसरी बार टिकट हासिल करने में सफ़ल रहे हैं परन्तु टिकट की आश लगाए लगभग आधे दर्जन संभावित लोगों में असंतोष स्पष्ट देखा जा रहा है। पार्टी विथ डिफरेंस का स्लोगन देने वाली पार्टी वास्तव में उन्हीं बुराईयों से ग्रस्त होती जा रही है जिसके लिए वह दूसरी पार्टियों की आलोचना करती आ रही थी। यहाँ भी उम्मीदवार के चयन में न योग्यता का ख्याल रखा गया है न क्षेत्र के लोगों के मिज़ाज को ही समझने का प्रयास हुआ है। जहाँ तक काम की बात करें तो वर्तमान सांसद के खाते में कुछ खास नहीं है। पिछले दस वर्षों में धालभूम एयर पोर्ट जिसके लिए कहा जाता है कि खूब प्रयास किया गया पर सारी कवायद बेकार।संसद में पुरस्कार पा लेने से जनता के बीच कोई उपलब्धि न रहने पर सवालिया चिह्न ही लग रहा है। समाचार पत्रों और चैनलों में विभिन्न मंत्रियों से मिलने भर की सूचना आती है, उपलब्धि सिफ़र ही है। जमशेदपुर पूर्व और पश्चिम विधान सभा क्षेत्र में व्यक्तिगत आयोजन में सम्मिलित होने के सिवा और कुछ भी उल्लेखनीय नहीं है।
ऐसे में अन्य दावेदारों की दावेदारी स्वाभाविक ही थी जिसे पार्टी ने कतिपय कारणों से ठुकरा दिया। खैर, यह पार्टी का अंदरूनी मामला है और इस पर टिप्पणी करना बेमानी है परन्तु इसी बहाने उन तमाम अन्य नेताओं में असंतोष का भाव देखा जा रहा है, खासकर वैसे नेताओं का जिन्हें दूसरे दल से कथित तौर पर यह कहकर लाया गया था कि आप लोकसभा चुनाव की तैयारी में लग जायं।यदि ऐसे नेता स्वयं को उपेक्षित समझ कर दूसरी पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन कर दें या स्वयं उम्मीदवार बना दिए गए तो राह कठिन हो सकती है। यह स्थिति इन्डिया गठबंधन के लिए उर्वर जमीन साबित हो सकती है। इस असंतोष को जिस हद तक अपने पक्ष में किया जाएगा, राह उतनी ही आसान होगी।अब देखना यह होगा कि यह सीट काॅग्रेस के खाते में जाती है या झामुमो के खाते में। जो भी हो, स्थिति दिलचस्प होती जा रही है। आगे आगे देखिये होता है क्या❓
ओंकार नाथ सिंह
स्वतंत्र विश्लेषक