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Jamshedpur: गोलियों की तड़तड़ाहट के बीच दहशत के माहौल में बागबेड़ा के सुबोध झा ने अयोध्या पहुंचाई थी रामशिला, हो गया था केस

राम मंदिर के लिए साल 1989 में शिला ले जाने वाले जल पुरुष सुबोध झा का बागबेड़ा में अभिनंदन

जमशेदपुर: बजरंग सेवा संस्थान जमशेदपुर के वैसे लोगों का अभिनंदन कर रहा है, जिन्होंने राम मंदिर बनवाने के लिए 1990 के दौर में संघर्ष किया है। इनमें अयोध्या जाकर आंदोलन करने वाले, शहर में हर घर से एक ईंट जुटाने वाले या फिर मंदिर के लिए जनजागरण करने वाले हों। ऐसे सभी लोगों का अभिनंदन किया जा रहा है सासाराम में हो रहे दंगे के बीच साल 1989 में 450 जगह शिला पूजन करवा के अयोध्या पहुंचाने वाले और इसी को लेकर 3 बार जेल जाने वाले सुबोध झा का भी अभिनंदन किया गया। रमेश ने बताया कि साल 1989 में भूमि पूजन हुआ था। उस वक़्त शिला पूजन की जिम्मेदारी उन्हें मिली। बड़े अधिकारियों ने रोकने का बहुत प्रयास किया। पर राम भक्त रुकने वाले नहीं थे। जमशेदपुर से शिला लेकर जब अयोध्या जा रहे थे, तब सासाराम में गोलियां चल रही थीं।  पूरा शहर दंगे की आग में जल रहा था। सासाराम में सुबोध झा व उनके साथियों को रोका गया। पर सारी मुसीबत झेलते हुए सभी सासाराम पार कर उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर गए। उत्तर प्रदेश में घुसते ही हर तरफ़ फूलों की वर्षा शुरू हो गई थी। लोग टोकरी में फूल लेकर खड़े थे। जमशेदपुर से शिला लेकर जाने वाले लोग बड़े खुश थे। खूब आनंद आया था। सुबोध झा ने बताया कि तब राम मंदिर के लिए आंदोलन करने वाले देश के युवा सरकार के निशाने पर थे। थोड़ी सी भनक लगते ही गिरफ़्तारी शुरू हो जाती थी। महीनों दूसरे के घर पर रुक कर आंदोलन किया गया है। 3 बार जेल जाना पड़ा। मगर बागबेड़ा के लोगों का खूब सहयोग मिला। सुबोध झा ने बताया अयोध्या में साल 1992 को 6 दिसंबर की घटना के बाद केंद्र सरकार ने हिंदू संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था। पूरे भारतवर्ष में बजरंग दल पर पाबंदी थी। सुबोध झा ने बताते हैं कि प्रतिबंध का मुकदमा उनके ऊपर भी लगा और बागबेड़ा थाना चौक पर बजरंग दल के कार्यालय को सील कर दिया गया था। साल 1992 में मुकदमा हुआ था। लेकिन, साल 1995 में सुबोध झा कोर्ट से बरी हो गए। बजरंग सेवा संस्थान के संस्थापक सागर तिवारी ने कहा कि सुबोध झा से जानने को मिला कि शिला अयोध्या कैसे पहुंची थी। सुबोध झा ने हिंदू राष्ट्र के निर्माण को लेकर टाटा ट्यूब डिवीजन और पुलिस की नौकरी तक छोड़ दी। संघर्ष बड़ा था। अब 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है, तो सभी को प्रसन्नता है। अभिनंदन कार्यक्रम में मुख्य रूप से सागर तिवारी, धर्मबीर महतो, प्रदीप सिंह, राजकुमार पाठक, रामेश्वर चौधरी, सूरज तिवारी, वैंकेट राव एव राकेश पांडेय आदि थे।

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