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अबकि विधानसभा चुनाव हारे तो सियासी हाशिए पर चले जाएंगे पूर्व IPS डा अजय कुमार, जानें क्यों दांव पर है सियासी कैरियर

जमशेदपुर : आइपीएस से राजनीतिज्ञ बने जमशेदपुर के पूर्व एमपी डा. अजय कुमार का सियासी कैरियर दांव पर है। इस बार अगर चुनाव हारे तो वह राजनीतिक हाशिए पर चले जाएंगे। यह सोच कर डा अजय कुमार भी इस बार मास्टर स्ट्रोक लगाने की सोच रहे हैं। यह मास्टर स्ट्रोक क्या होगा यह आने वाला वक्त बताएगा।
   डा अजय कुमार जमशेदपुर पूर्वी सीट पर चुनाव लड़ कर झारखंड विधानसभा जाने की सोच रहे हैं। मगर, उनकी राह में उनके अपने ही कांटा बने हुए हैं। पहले तो डॉ अजय पार्टी के अंदर टिकट को लेकर चल रही मारामारी से परेशान हैं। अगर कांग्रेस का टिकट मिल गया तो उनके सामने सिटिंग जद यू विधायक सरयू राय और भाजपा के दांव-पेंच से जूझने की चुनौती होगी। जमशेदपुर में एसपी के तौर पर तैनाती के दौरान क्राइम कंट्रोल को लेकर मीडिया की सुर्खियां बटोरने वाले डा. अजय को पूर्वी इलाके की जनता को आकर्षित कर कांग्रेस के फेवर में सियासी सीन तैयार करना होगा। क्योंकि, इस सीट पर कांग्रेस का ट्रैक रिकार्ड ठीक नहीं है। यहां 16 दफा इलेक्शन हुए हैं और इनमें से तीन बार 1952, 1967 और 1985 में ही कांग्रेस को जीत मिली है। पिछले विधानसभा इलेक्शन की बात करें तो जीत का परचम लहराने वाले विधायक सरयू राय को 73945 वोट मिले थे। लेकिन, कांग्रेस 18 हजार 976 पर सिमट कर रह गई थी।
IPS की नौकरी छोड़ आए थे सियासत में
आइपीएस की नौकरी छोड़ने के बाद डा. अजय कुमार सियासत में आ गए थे। तभी झारखंड के सीएम बनने के बाद जमशेदपुर के तत्कालीन सांसद अर्जुन मुंडा ने रिजाइन दे दिया था। डा. अजय के लिए सुनहरा चांस था। जमशेदपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में डा. अजय कुमार ने बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक से टिकट लिया और चुनाव लड़ गए। उनकी एसपी वाली छवि का असर दिखा। इस चुनाव में हर तरफ डा. अजय का ही बोल-बाला रहा। भाजपा ने दिनेशानंद गोस्वामी को मैदान में उतारा था। मगर, वह डा. अजय कुमार के सामने टिक नहीं सके। इस चुनाव में डा. अजय ने जीत दर्ज की और लोकसभा पहुंच गए। डा. अजय कुमार को 276582 वोट मिले और उन्होंने दिनेशानंद गोस्वामी को 155726 वोटों से हराया था। दिनेशानंद गोस्वामी को 120856 मत मिले थे।
साल 2014 से नहीं मिली कामयाबी 
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में डा. अजय कुमार भाजपा के उम्मीदवार विद्युत वरण महतो से मात खा गए। इस चुनाव में भाजपा के विद्युतवरण महतो को 464153 वोट मिले थे। जबकि, झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले डा. अजय कुमार 364277 वोट ही जुटा सके। इस तरह, डा. अजय को 99 हजार 876 मतों से शिकस्त मिली थी। इस चुनाव के बाद डा. अजय को सफलता की तलाश है। इसके बाद उन्होंने जमशेदपुर से कई बार चुनाव लड़ने का मन बनाया मगर, कामयाबी नहीं मिली।
लोकसभा चुनाव में चूक गए डा. अजय

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इस साल हुए लोकसभा चुनाव में पूर्व सांसद डा. अजय के चुनाव लड़ने की खूब चर्चा थी। यह सीट भी कांग्रेस को ही मिलने जा रही थी। डा. अजय कुमार ने जमशेदपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने का मन भी बनाया था। उन्होंने घाटशिला समेत क्षेत्र के दूर-दराज इलाके में जाकर काम करना भी शुरू कर दिया था। मगर, सूत्र बताते हैं कि ऐन मौके पर डा. अजय कुमार का ही मन चुनाव लड़ने का नहीं हुआ। इसके बाद, कांग्रेस ने यह सीट झामुमो को दे दी और यहां से झामुमो के उम्मीदवार समीर कुमार मोहंती ने चुनाव लड़ा। माना जा रहा है कि अगर डा. अजय ने इस बार यहां से लोकसभा का चुनाव लड़ा होता तो इस सीट का राजनीतिक परिदृष्य ही अलग होता।

ओडिशा में हार के बाद कॅरियर पर है दबाव

कांग्रेस में डा. अजय कुमार दिग्गज नेता माने जाते हैं। उन्हें पार्टी ने तीन प्रदेशों ओडिशा, पुडुचेरी और तमिलनाडू का प्रभार दिया है। डा. अजय कुमार ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी हैं। हाल ही में ओडिशा में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सफलता नहीं हासिल कर सकी। प्रदेश प्रभारी होने की वजह से ओडिशा में हार की जिम्मेदारी डा. अजय की भी है। इस हार के चलते डा. अजय के कॅरियर पर दबाव है। इसीलिए डा. अजय जमशेदपुर पूर्वी का चुनाव जीत कर ओडिशा के हार के प्रेशर को खत्म करना चाहते हैं।
रास नहीं आई टाटा मोटर्स में सीनियर एग्जीक्यूटिव की नौकरी
1986 बैच के आइपीएस अधिकारी डा. अजय कुमार का मन सिविल सेवा में नहीं लग रहा था। इस वजह से उन्होंने साल 1996 में नौकरी छोड़ दी थी और टाटा मोटर्स में सीनियर एग्जीक्यूटिव बन गए थे। लेकिन, डा. अजय का मन यहां भी नहीं लगा। दरअसल, वह सियासतदां बनना चाहते थे। इसीलिए उन्होंने टाटा मोटर्स की नौकरी को भी अलविदा कह दिया और सियासत में आ गए।
सफलता की तलाश में कई दलों में भटके 
साल 2014 में जमशेदपुर से लोकसभा चुनाव में परास्त होने के बाद डा. अजय कामयाबी की राह देखने को तरस गए हैं। इस दौरान उन्होंने कई पार्टियों का सफर किया। उसी साल उन्होंने झाविमो छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था। बड़ी जिम्मेदारी देते हुए उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया। साल 2017 में उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया। मगर, अंदर की खींचतान से डा. अजय ऊब गए और उन्होंने कांग्रेस छोड़ कर आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया था। मगर, यहां भी डा. अजय का मन नहीं लगा। साल 2020 में वह कांग्रेस में वापस आ गए।
1986 में बने थे आइपीएस
कर्नाटक के मैंगलोर शहर में वत्सला और केएस भंडारी के घर 10 अगस्त 1962 को जन्में डा. अजय कुमार पहले डा. अजय कुमार भंडारी थे। उनकी स्कूलिंग हैदराबाद पब्लिक स्कूल से हुई। उन्होंने 1985 में पुडुचेरी से जवाहर लाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च संस्थान से डाक्टर की डिग्री हासिल की। इसके बाद डा. अजय 1986 में आइपीएस बन गए। वह 1996 तक आइपीएस रहे।
जेजे ईरानी के रिक्वेस्ट पर लालू ने भेजा था जमशेदपुर

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1990 के आसपास जमशेदपुर में जुर्म का ग्राफ चरम पर था। इस पर टाटा स्टील के एमडी जेजे ईरानी के कहने पर तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव ने 1994 में डा. अजय को जमशेदपुर का एसपी बना कर भेजा था। यहां वह दो साल रहे थे।
आधा दर्जन से अधिक बदमाश उतारे गए थे मौत के घाट
1994 में जब डा. अजय कुमार एसपी बन कर आए तब लौहनगरी अपराध से थर्रा रही थी। शाम छह बजे के बाद घर से निकलने में लोग सौ दफा सोचते थे। जमशेदपुर पहुंचने के बाद डा. अजय कुमार ने बदमाशों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। अपने कार्यकाल के दौरान डा. अजय कुमार ने आधा दर्जन से अधिक बदमाशों को मुठभेड़ में मार गिराया था। डा. अजय कुमार के खौफ से कई नामवर बदमाश जमानत तुड़वा कर जेल चले गए थे। कई बदमाश शहर छोड़ कर फरार हो गए थे। मुठभेड़ में मारे जाने वाले कुख्यात बदमाशों में रंजन आहूजा, विमल लोहार, ईसा, नरेंद्र बहादुर सिंह, श्रवण कुमार आदि शामिल हैं। बदमाशों की संपत्ति पर बुल्डोजर चलवा दिए गए थे। छापामारी के दौरान हमेशा फ्रंट पर रहने वाले एसपी डा. अजय कुमार का खौफ बदमाशों पर तारी हो गया था।
डा. अजय ने गरमनाला गिरोह का कर दिया था सफाया
तब शहर में गरमनाला गिरोह का आतंक था। इस गिरोह के सदस्य लूट, डकैती, हत्या की घटनाएं अंजाम देते थे। लोग अपनी गाढ़ी कमाई लुटने से परेशान थे। इस गिरोह का सक्रिय सदस्य आदित्यपुर का नरेंद्र बहादुर सिंह सबसे खतरनाक था। डा. अजय ने उसी को निशाना बनाया और पुलिस एनकाउंटर में उसे मार गिराया। परसुडीह में आतंक का पर्याय बने ओमियो शर्मा उर्फ ओमी और राजेश पगला को सुंदर नगर में मार गिराया गया। इसी बीच किसी घटना को अंजाम देने बोकारो से जमशेदपुर पहुंचे भोला की भनक तत्कालीन एसपी डा. अजय को लग गई। फिर क्या था। पुलिस भोला की तलाश में दबिश देने लगी और उसे मार गिराया गया।
दिनारा में घिरे डा. अजय की खत्म हो गई थीं गोलियां
डा. अजय कुमार ने अपनी ट्रेनिंग के दौरान बिहार के दिनारा थाना क्षेत्र में एक जगह रेड की थी। डा. अजय कुमार को यहां तकरीबन 200 बदमाशों ने घेर लिया था। डा. अजय के साथ पुलिस कर्मियों की कमी थी। यह एनकाउंटर देर रात लगभग एक बजे से अगले दिन 12 बजे तक चला था। इस मुठभेड़ में डा. अजय कुमार के पास गोलियां खत्म हो गई थीं। कुछ गोलियां ही बचा कर रखी थीं। डा. अजय कुमार ने सोचा था कि आज तो उनका चैप्टर खत्म। मगर, इत्तेफाक से घटना की सूचना पाकर आरा से एसपी फोर्स लेकर मौके पर पहुंच गए और सब बच गए थे। इसी एनकाउंटर के बाद डा. अजय को गैलेंट्री अवार्ड मिला था।

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