जमशेदपुर : साकची में हुसैनी मिशन में एक मातमी जुलूस निकला। जुलूस में शामिल लोग नौहा खानी और सीनाजनी कर रहे थे। नौहा पढ़ा गया हम औनो मोहम्मद हैं। सदा रहेगा हुसैन का गम, जमाना यूं ही करेगा मातम। या हुसैन या हुसैन, नौहा खानी शाकिर हुसैन, इनाम अब्बास, आशकार हुसैन आदि नौहा खानों ने की। यह जुलूस साकची गोल चक्कर पहुंचा। जंजीर का मातम भी किया गया। जुलूस में सैकड़ों अकीदत मंद शामिल हुए। इसके पहले हुसैनी मिशन में हुई मजलिस को मस्जिद ए जाफरिया के पेश इमाम मौलाना जकी हैदर ने खिताब किया। उन्होंने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत का जिक्र किया। मौलाना जकी हैदर ने कहा कि जब कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम तंहा रह गए वह अपने जवान बेटे अली अकबर की कुर्बानी पेश कर चुके 6 महीने के लाल अली असगर की कुर्बानी दे चुके तो मैदान है जंग में पहुंचे।
इमाम ने जंग करनी शुरू की। यजीदी फौज भागने लगी। तभी आसमान से निदा आई। नैजे पर नैजे खा चुके। बस ऐ हुसैन बस। हम तुमको आजमा चुके। बस ऐ हुसैन बस। सर को झुका दो खंजर ए बेदाद के लिए। कुछ इंतिहान छोड़ दो सज्जाद के लिए। इसके बाद यजीदी फौज में सिमट ने लगे और इमाम पर हमला कर दिया जिसके पास कुछ नहीं था वह पत्थर मार रहा था गर्म रेत इमाम हुसैन पर फेंक रहा था इमाम घोड़े पर झूमने लगे और जमीन ए कर्बला पर आए। शिम्र आगे बढ़ा और उसने इमाम हुसैन को शहीद कर दिया। इससे पहले मानगो के जाकिर नगर स्थित इमामबारगाह हजरत अबू तालिब अलैहिस्सलाम में मजलिस हुई। यहां मजलिस को मौलाना जकी हैदर ने खिताब किया। इसके बाद सिब्ते हुसैन के इमामबाड़े पर और साकची के मोहम्मडन लाइन में आशकार हुसैन नकवी के इमामबाड़े पर भी मजलिस हुई।
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