इमरान हैदर रिजवी, कौशांबी : कौशांबी में रविवार को हजरत अली अलैहिस्सलाम का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर महफिले मिलाद का भी आयोजन किया गया। मस्जिद में महफिल का आयोजन हुआ। इसमें स्थानीय शायरों ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम की शान में कसीदे पढ़े। इसके अलावा करारी, बेरूई, अंडहरा, लहना, राले, सैयद अलीपुर, कड़ा, दारानगर आदि इलाकों में भी महफिल का आयोजन किया गया। मंझनपुर कर्बला में हजरत अली के जन्मदिन के हवाले से नजर का एहतमाम किया गया। ये कार्यक्रम समाजसेवी इमरान हैदर रिजवी की तरफ से आयोजित किया गया। यहां खीर पर नजर दिलाई गई। 13 रजब के मौके पर होने वाली महफिल के दौरान मौलाना कौसर अब्बास रिजवी ने हजरत अली अलैहिस्सलाम की हयाते तैयबा के बारे में लोगों को जानकारी दी। बताया कि हजरत अली काबा में पैदा हुए थे। उन्होंने हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम की आगोश में आंख खोली तो सबसे पहले रसूले अकरम की जियारत की। इसके बाद उनके हाथों पर तौरैत, जुबूर, इंजील और कुरान सुनाया। गहवारे में अजदहा को चीर दिया। दावते जुल अशीरा में हज़रत अली अलैहिस्सलाम रसूले अकरम का साथ देने का वादा कर उनके खलीफा इमाम और जांनशीन बन गए। खिलाफत और इमामत का बाकायदा आधिकारिक ऐलान गदीर-ए-खुम के मैदान में हुआ। यहां अल्लाह के हुक्म से रसूले अकरम ने ऐलान किया कि जिसका जिसका मैं मौला उसका यह अली मौला। हजरत अली मौला ए कायनात भी हैं। मुसलमान हर साल 13 रजब को हजरत अली का जन्मदिन पूरे धूमधाम से मनाते हैं।
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