जमशेदपुर: बिष्टुपुर के गोपाल मैदान में स्वदेशी मेले में इस साल गोबर से बने प्राकृतिक पेंट की धूम है। इसके स्टॉल पर लोगों का मजमा है। लोग जानना चाहते हैं कि गोबर से पेंट कैसे बनाया गया। गोबर से पेंट बनाने वाली महिला ज्योति बाला बताती हैं कि यह इको फ्रेंडली पेंट है। ये किसी भी तरह से हानिकारक नहीं है। उनके तकनीकी सलाहकार मनोज सिंह बताते हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वदेशी अपनाओ नारे से प्रभावित होकर सरायकेला प्रखंड के हाथीमंडा गांव में इसका कारखाना डाला है। गांव की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को लेकर गोबर से पेंट बनाने का काम शुरू किया है। वह। बताते हैं कि 500 किलोग्राम पेंट के लिए 250 ग्राम गोबर चाहिए। वह ₹2 प्रति किलो गोबर खरीदते हैं। इससे ग्रामीणों को भी आमदनी हो रही है। गोबर के साथ मक्का का आटा, स्टार्च, रेड़ी का तेल आदि मिलाकर यह प्राकृतिक पेंट बनाया जा रहा है। यह एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरिया है। पानी से धोया भी जा सकता है। उन्होंने बताया कि झारखंड का यह पहला प्लांट है, जहां गोबर से पेंट तैयार हो रहा है। गोबर से पेंट बनाने के काम में गांव के कई लोग लगे हुए हैं। इस तरह 20-25 लोगों को रोजगार मिल रहा है। उन्होंने बताया कि गोबर से बने इस पेंट के 956 कलर शेड हैं। बाजार में बिकने वाले पेंट के मुकाबले यह सस्ता कलर है। अन्य ब्रांड के पेंट बाजार में 450 रुपए प्रति लीटर के आसपास मिलते हैं। जबकि इस प्राकृतिक पेंट की कीमत 200 से 250 रुपए प्रति लीटर के आसपास है।