न्यूज़ बी रिपोर्टर, नई दिल्ली : माहे रमजान आने के बाद जहां मुस्लिम इलाकों में चहल-पहल बढ़ गई है। वहीं रोजेदारों की दिनचर्या में भी बदलाव आ गया है। रोजेदारों का खानपान भी बदल गया है। हर घरों में रोज इफ्तार और सहरी में एक से बढ़कर एक पकवान बन रहे हैं और रोजेदार इनका लुत्फ उठा रहे हैं।
रोजे में इफ्तार और सहरी का बड़ा महत्व है। इफ्तार यानी सारा दिन रोजा रहने के बाद शाम को नमाज के बाद इफ्तार किया जाता है। इफ्तार में पकौड़ी, गुलगुला, फल, बिरयानी, दही बड़ा, चाट और लस्सी जैसे पेय पदार्थों से दस्तरखान भरे रहते हैं। सुबह की नमाज से डेढ घंटा पहले सेंवई, दूध, चाय, ब्रेड आदि से सहरी होती है। कमरुल हसन खान बताते हैं कि ज्यादातर लोग डिनर में भरपेट खाना नहीं खाते। डिनर में लोग हल्का खाना लेते हैं। क्योंकि, इफ्तार से ही रोजेदारों का पेट भर जाता है। इसके बाद सहरी करने के बाद रोजेदार सो जाते हैं और फिर सुबह की नमाज के वक्त उठकर अल्लाह की इबादत करते हैं।
रोज एशा की नमाज के बाद पढ़ी जा रही तरावीह
रमजान में एशा की नमाज के बाद रोजेदार तरावीह पढ़ते हैं। रोज 20 रकअत तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है। इसमें पेश इमाम कुरआन सुनाते हैं। तरावीह का दौर 29 रमजान तक चलेगा। कुछ जगहों पर नौकरी पेशा और कारोबार करने वाले लोग 5 से 7 दिन तक की तरावीह पढ़ लेते हैं और फिर तरावीह से फुरसत पाकर अपने काम में जुट जाते हैं। तरावीह की नमाज मंझनपुर, करारी, दारानगर, सिराथू, चायल समेत अन्य इलाकों में हो रही है।
10 रमजान के बाद इफ्तार पार्टी का शुरू होगा दौर
जिले में इफ्तार पार्टियां भी आयोजित होती हैं। 10 रमजान के बाद इनका दौर शुरू होगा। इफ्तार पार्टियों छोटे पैमाने से लेकर बड़े पैमाने पर होती हैं। जिन घरों के छोटे बच्चे पहली बार रोजा रखते हैं। उनके घर पर इफ्तार पार्टी होती है। इनमें रिश्तेदारों और मोहल्ले के लोगों को इफ्तार के लिए बुलाया जाता है। इसके अलावा बड़े और असरदार लोग बड़े पैमाने पर इफ्तार पार्टी करते हैं, इनमें शहर के प्रभावशाली लोगों को दावत दी जाती है।