Jamshedpur Bakreed : जमशेदपुर (Jharkhand) में शनिवार को बकरीद (Jamshedpur Bakreed) का त्योहार पूरे धार्मिक जोश, अकीदत और एहतेराम के साथ मनाया गया। आमबगान, धातकीडीह, आजाद नगर समेत शहर के तमाम ईदगाहों में सुबह सात बजे से ही मुस्लिम समाज के लोग जुटे और अल्लाह की इबादत में सजदा कर बकरीद की नमाज अदा की। मस्जिदों में भी लोगों ने नमाज अदा की। इस मौके पर हर तरफ ईद की रौनक और भाईचारे का पैगाम नजर आया।
Jamshedpur Bakreed: कुरबानी के मायने बताए गए, करबला की कुर्बानी की गई याद
ईदगाहों और मस्जिदों में नमाज के दौरान मौलवियों और उलमा-ए-केराम ने कुरआन और हदीस के हवाले से कुर्बानी के महत्व को बताया। ज़ाकिर नगर स्थित शिया जामा मस्जिद उम्मे खलील में मौलाना ज़की हैदर ने सुबह साढ़े आठ बजे नमाज पढ़ाई और कहा कि ईद-ए-कुर्बान महज जानवर की कुर्बानी नहीं, बल्कि अपनी इच्छाओं को काबू कर अल्लाह के आदेशों के आगे झुक जाने का संदेश देती है। उन्होंने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की करबला में दी गई कुर्बानी को “जिब्ह ए अज़ीम” करार दिया और बताया कि यही कुर्बानी हज़रत इब्राहीम और हज़रत इस्माईल की कुर्बानी का बदल बनी।
गले मिलकर दी गई मुबारकबाद, दुआओं में मांगी गई अमन की राह

Jamshedpur Bakreed: ईदगाह में नमाज़ पढ़ते लोग
नमाज के बाद लोगों ने एक-दूसरे को गले लगाकर बकरीद की मुबारकबाद दी। अमन, भाईचारा और समाज की तरक्की की दुआएं की गईं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर चेहरा ईद की खुशी से चमक रहा था। घरों और मोहल्लों में सेंवइयों के साथ त्योहार की खुशी साझा की गई और इंसानियत का पैगाम दिया गया।
सामाजिक समरसता का भी संदेश देता है यह त्योहार
ईद-उल-अजहा इस्लाम धर्म का अहम त्योहार है, जो हज़रत इस्माईल (अलै.) की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है। यह पर्व त्याग, समर्पण और ईश्वर के प्रति वफादारी का प्रतीक है। इस दिन जानवरों की कुर्बानी देकर लोग अल्लाह की राह में अपनी भक्ति प्रकट करते हैं। साथ ही यह पर्व समाज में जरूरतमंदों की मदद, आपसी भाईचारा और एकता की भावना को भी मजबूत करता है। इस मौके पर करबला में दी गई इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की कुर्बानी को भी याद किया गया, जिसे “जिब्ह ए अज़ीम” माना जाता है।
इसे भी पढ़ें – Jamshedpur DIG Meeting : कोल्हान के नए डीआईजी अनुरंजन किस्पोट्टा पहुंचे जमशेदपुर, कहा- अपराधमुक्त जिला बनाना है प्राथमिकता
झारखंड के जमशेदपुर में इस बार की बकरीद पर अमन, सुकून और इंसानियत का खूबसूरत संगम देखने को मिला, जहां हर दिल अल्लाह की याद और एक-दूसरे की फिक्र से जुड़ा दिखा।