जमशेदपुर : पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा 980 यूनियन की मान्यता समाप्त करने के आदेश को निष्क्रिय कर दिया है। इनमें से अधिकांश यूनियन झारखंड में कम कर रही हैं। इसमें टेल्को वर्कर्स यूनियन भी शामिल है। टेल्को वर्कर्स यूनियन जमशेदपुर में सक्रिय है। जबकि, 3 मई साल 2017 को बिहार सरकार ने एक आदेश जारी कर इसकी मान्यता रद्द करने का ऐलान किया था। इस आदेश के खिलाफ टेल्को वर्कर्स यूनियन के आकाश दुबे ने पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस पर फैसला देते हुए पटना हाईकोर्ट ने 14 जुलाई साल 2023 को इस आदेश को रद कर दिया है और कहा है कि बिहार सरकार को झारखंड में कार्यरत यूनियनों की मान्यता रद्द करने का अधिकार नहीं है। भले ही यह यूनियन है बिहार में निबंधित हुई हो। यह फैसला आने के बाद अब टेल्को वर्कर्स यूनियन के विरोधियों में खलबली मच गई है। पटना हाईकोर्ट के इस फैसले से टेल्को वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारी और सदस्यों में उत्साह का माहौल है। टेल्को वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारी ने गुरुवार को टेल्को स्थित अपने दफ्तर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की जानकारी दी और कहा कि चाहे झारखंड हाईकोर्ट हो या सुप्रीम कोर्ट टेल्को वर्कर्स यूनियन के खिलाफ टाटा मोटर्स प्रबंधन और टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन ने बिहार सरकार के टेल्को वर्कर्स यूनियन की मान्यता रद्द करने के 3 मई साल 2017 के आदेश को ही आधार बनाकर पेश किया जाता रहा है। अब जबकि यह आदेश ही पटना हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार रद्द हो गया है तो अब टेल्को वर्कर्स यूनियन के खिलाफ जो भी आदेश निर्देश जारी हुए हैं, उनका कोई अस्तित्व नहीं बचा। प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि टेल्को वर्कर्स यूनियन के खिलाफ आदेश को सबसे बड़े हथियार के रूप में विरोधी इस्तेमाल करते थे। अब वह निष्प्रभावी हो गया है। टेल्को वर्कर्स यूनियन के सदस्यों का चंदा किसी और यूनियन में जमा करने का मामला हो। टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष गुरमीत सिंह तोते का नाम रजिस्टर में दर्ज किए बिना यूनियन का अध्यक्ष होते हुए वेतन समझौते के विरोध में शिकायत पर कार्रवाई का मामला हो, या टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष आरके सिंह का कंपनी का कर्मचारी ना होते हुए भी नान को आप्ट सदस्य होने के बावजूद साल 2017 में वेतन समझौता करने की बात हो, या टेल्को वर्कर्स यूनियन का ऑफिस खाली करने की बात हो, हर जगह बिहार सरकार के आदेश का इस्तेमाल किया जाता रहा है। लेकिन, अब पटना हाई कोर्ट का आदेश आने के बाद टेल्को वर्कर्स यूनियन में फिर से जान आ गई है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि जिस आम सभा के जरिए टेल्को वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारी प्रकाश अमलेश को बाहर कर यूनियन को एक करने की बात थी। वह आमसभा फर्जी थी। जबकि जांच में पता चला था की आमसभा में शामिल 2700 लोगों में से 1700 के साइन फर्जी हैं। लेकिन, टेल्को वर्कर्स यूनियन के विरोधियों ने यह मान लिया कि 1000 साइन वैध है और मीटिंग का कोरम 330 लोगों का है। इसलिए मीटिंग को वैध करार दिया गया। जबकि, एक भी साइन फर्जी होने से आम सभा फर्जी साबित होती है।
इस आदेश से जो असर हुआ है
1.प्रबंधन को जब टेल्को वर्कर्स यूनियन ने 37 और सदस्यों का चंदा काटने का और अकाउंट में रखने का जो निवेदन किया था उस पर प्रबंधन ने जवाब दिया था कि यूनियन का रजिस्ट्रेशन रद्द है इसलिए यह नहीं कर सकते हैं
2.टेल्को वर्कर्स यूनियन से प्रबंधन ने किसी तरह का समझौता करने हैं क्योंकि निबंधन रद्द था
3.यूनियन खाली करने और बिजली और पानी काटने का जो आदेश प्रबंधन ने इसलिए दिया था क्योंकि यूनियन का निबंधन रद्द था
4.माननीय उच्च न्यायालय के डबल बेंच के मुख्य ध्याये के बेंच ने भी यह बोल दिया था कि जब निबंधन रहे तो चुनाव हम कैसे करेंगे
5.औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत जो भी मामला टेल्को वर्कर्स यूनियन उठाती थी जिसमें मजदूरों के सुख सुविधाओं में कटौती किया जाता था वेतन में भी भारी कटौती किया जाता था उसमें भी सरकार का यह जवाब रहता था कि टेल्को वर्कर्स यूनियन औद्योगिक विवाद उठाने में सक्षम नहीं है क्योंकि निबंधन रद्द था
माननीय उच्च न्यायालय पटना के आदेश के बाद इन सभी उपरोक्त 5 प्रभावों से मुक्त हो जाएगा टेल्को वर्कर्स यूनियन
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