इमरान हैदर रिजवी, कौशांबी: कौशांबी जिला पंचायत अध्यक्ष कल्पना सोनकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस वापस हो गई है। जिला पंचायत अध्यक्ष कल्पना सोनकर ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर रातों-रात बाजी पलट दी है। जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस जमा कराने वाली जिला परिषद सदस्य जिला पंचायत सदस्य विजमा दिवाकर पर दबाव बनाया गया और उन्होंने बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस वापस ले लिया। बताते हैं कि कौशांबी में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी खतरे में होने से लखनऊ में सरकार सकते में आ गई थी। मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हस्तक्षेप करना पड़ा। सूत्र बताते हैं कि योगी आदित्यनाथ के जिला पंचायत अध्यक्ष कल्पना सोनकर को बचाने के लिए आगे आने से जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी बच पाई है। सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री की केशव मौर्या से बात भी हुई। इसी के बाद उपमुख्यमंत्री ने सीधे विजमा दिवाकर से बात की और अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस वापस हुई। इसके पहले भाजपाइयों ने जिला पंचायत अध्यक्ष कल्पना सोनकर के खिलाफ विरोध का झंडा बुलंद करने वाले कई सदस्यों को भी अपने पाले में कर लिया था। इससे विजमा दिवाकर भी समझ गईं कि इस मामले में उनकी दाल गलने वाली नहीं है। यही वजह रही कि उन्हें भी खुद को बैकफुट पर जाना पड़ा और जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी बच गई।
डटे थे प्रशासनिक अधिकारी
बताते हैं कि सुबह से ही जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस में हस्ताक्षर का मिलान करने के लिए अधिकारी तैयार थे। अधिकारी काफी देर तक इंतजार करते रहे। कोई नहीं आया। लोगों को उम्मीद थी कि कुछ सदस्य पहुंचेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बाद में विजमा दिवाकर पहुंचीं और नोटिस वापस ले ली।
सपा छोड़ने के लिए दिया गया था जिला पंचायत अध्यक्षी का लालच
जिला पंचायत सदस्य विजमा दिवाकर सपा की तरफ से जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ी थीं। वह भाजपा की कल्पना सोनकर से 2 वोट से हार गई थीं। भाजपाइयों की तरफ से विज्मा को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने का लालच दिया गया था। इसीलिए उन्होंने सपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में आने का ऐलान किया। इसी के बाद से वह जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।