न्यूज़ बी : यमन के हूथी (हौसी) शिया आदिवासी हैं, जो इन दोनों इसराइल और अमरीका से सीधे युद्ध लड़ रहे हैं। इन्हें अरबी में होसी आदिवासी कहा जाता है, भारतीय मीडिया अंग्रेजी उच्चारण के हिसाब से इन्हें हूती लिखती है। साल 2015 में हौसी आदिवासियों ने यमन पर कब्जा कर लिया था। हौसी आदिवासियों का कहना था कि उस समय की अली अब्दुल्ला सालेह की सरकार अमरीका और इसराइल की पिछलग्गू बनी हुई है और यमन के नागरिकों के हितों की अनदेखी कर रही है। हौसी आदिवासियों ने यमन की सरकार के खिलाफ विरोध का झंडा बुलंद किया तो सेना ने सादा शहर स्थित उनके हेड क्वार्टर पर धावा बोलकर हौसी नेता हुसैन अल हौसी की हत्या कर दी। इसके बाद हौसियों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। हौसी आग बबूला हो गए और यमन की सेना के खिलाफ संघर्ष का ऐलान करते हुए पूरे देश पर ही कब्जा कर लिया। हौसी आदिवासियों ने जैसे ही सरकार पर कब्जा किया, सऊदी अरब और 12 देशों के गठबंधन की सेना ने उन पर हमला कर दिया। सऊदी अरब की सेना को अमरीका और इसराइल का भी सपोर्ट प्राप्त था। लेकिन, अभी तक सऊदी अरब इस युद्ध को नहीं जीत पाया है। यमन में हौसी आदिवासियों की सरकार बरकरार है। यह हौसी आदिवासी काफी बहादुर माने जाते हैं। इन्होंने मिस्र से भी युद्ध लड़ा था और उन्हें पराजित कर दिया था। अभी तक का रिकॉर्ड है कि किसी भी देश की सेना इन्हें पराजित नहीं कर सकी है। रक्षा विशेषज्ञ इसके लिए यमन की भौगोलिक स्थिति को कारण बताते हैं। जबकि, कई विशेषज्ञों का कहना है की हौसी आदिवासी काफी बहादुर हैं, इसीलिए आज तक कोई उन्हें पराजित नहीं कर पाया। इसराइल ने गजा पर हमला कर नरसंहार शुरू किया तो हौसी आदिवासियों ने इसराइल पर हमले शुरू कर दिए। इसराइल के शहर एलात बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों से हमला किया गया। बाद में हौसी ने इसराइल के तीन जहाजों पर कब्जा कर लिया। सोमवार को इसराइल के जहाज को पकड़ने के दौरान हौसी बागियों का अमरीकी नौसेना से संघर्ष हुआ। इस पर हौसी बागियों ने अमेरिकी नौसेना पर मिसाइल बरसा दीं और अमरीकी नौसेना को पीछे हटना पड़ा।