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Israel Gaza war- अमेरिका पर बढा यमन पर हमला करने का दबाव

इसराइल बोला- जो बाइडेन बैकफुट पर आए तो हमारी सेना उतरेगी मैदान में

न्यूज़ बी: लाल सागर में बाबल मंदब को इसराइल जाने वाले जहाजों के लिए बंद करने के यमन की सेना के ऐलान के बाद माहौल गरमा रहा है। अमेरिका पर दबाव बढ़ रहा है कि वह हौसी आदिवासियों को बैकफुट पर रखने के लिए यमन पर हमला करे। अमेरिका में इसे लेकर प्रदर्शन भी हुए हैं। यहूदी लाबी भी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पर लगातार दबाव बनाए हुए है। अब, इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि अगर जो बाइडेन यमन पर हमले के मामले में पीछे हटते हैं तो इसराइल की सेना कार्रवाई करने में सक्षम है। ऐसा माना जा रहा है कि अब मध्य पूर्व में एक नया मोर्चा खुलने वाला है। लेकिन यमन के साथ जंग शुरू होने के बाद इजरायल भारी दबाव में आ जाएगा। उसे कई मोर्चों पर युद्ध लड़ना पड़ेगा। रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो अब इसराइल के लिए साल 1967 जैसे हालात नहीं हैं‌। तब इसराइल का युद्ध जिन देशों से था वहां के बादशाह अमेरिकी चेले हुआ करते थे। इसका इसराइल को लाभ मिला था। लेकिन, अब जो देश इसराइल के सामने खड़े हैं, वह अमेरिका को भी आंख दिखाने की बात करते हैं। जिस तरह से हौसी आदिवासियों ने अमेरिका को ललकारा है। उससे दुनिया भर के विशेषज्ञ हैरान हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यमन अमेरिका से पंगा लेकर उसे सीधे युद्ध में फंसाना चाहता है। इराक और सीरिया में अमेरिकी ठिकानों पर हो रहे हमलों से जो बाइडेन पहले से ही दबाव महसूस कर रहे हैं। अब, लाल सागर में तनाव बढने से उनके माथे पर पसीना आ गया है। विशेषज्ञ बताते हैं कि अमेरिका हौसी आदिवासियों से निपटने के लिए नौसेना का एक गठबंधन तैयार करने में लगा है। इसी के तहत पाकिस्तान के नौ सैनिक बेड़े तुगरिल को बुलाया गया है। लेकिन, माना जा रहा है कि अमेरिका यमन पर आक्रमण करने से कतरा रहा है। क्योंकि सऊदी अरब में अमेरिका के कई हित निहित हैं। क्योंकि, हौसी आदिवासी सऊदी अरब में अमेरिका के ठिकानों पर हमला करने के लिए तैयार बैठे हैं। मध्य पूर्व के जानकार बताते हैं कि अगर यमन पर हमला होता है तो हौसी आदिवासियों को सऊदी अरब पर हमला करने का बहाना मिल जाएगा और इस बार हौसी अमेरिकी कंपनियों द्वारा चलाई जा रही आयल रिफाइनरी को भी बर्बाद कर सकते हैं। इसीलिए अमेरिका अपने पेट्रो डॉलर बचाने की सोच रहा है। लेकिन इसराइल आग भड़का रहा है। जिस तरह वह गजा पर हमले कर रहा है उसे रोकने के लिए ही ईरान अमेरिका को लाल सागर में उलझाने का मंसूबा तैयार कर चुका है। दूसरी तरफ, हौसी आदिवासियों ने भी कह दिया है कि उनकी सेना पूरी तरह अलर्ट है और किसी भी हमले का जवाब देने के लिए तैयार है। लाल सागर से इसराइल जाने वाले जहाजों को रोक देने के बाद इसराइल का काफी नुकसान हो रहा है। अब इसराइल और उसके दोस्तों के पास एक ही ऑप्शन बचा है कि वह या तो गजा पर हमले बंद करें या फिर लाल सागर में यमन से दो-दो हाथ करने को तैयार रहें। माना जा रहा है कि रूस, ईरान और चीन मध्य पूर्व में अमेरिका को निकालने का प्लान तैयार कर चुके हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के बीच हाल ही में मास्को में इस प्लान पर दस्तखत हो चुके हैं। इसी प्लान को समझाने के लिए व्लादिमीर पुतिन कुछ हफ्ते पहले चीन गए थे। सूत्रों का कहना है कि व्लादिमीर पुतिन ने सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात का दौरा इसीलिए किया था कि वहां के नेतृत्व को समझाया जा सके कि अगर युद्ध होता है तो उनके यहां मौजूद अमेरिकी सैनिक ठिकाने निशाना बनेंगे। उन्हें बताया गया कि इस युद्ध से सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात दूर रहें। यमन के हौसी आदिवासी जो कुछ कर रहे हैं, वह इसी प्लान का हिस्सा है। माना जा रहा है कि प्लान ये है कि यमन युद्ध का मैदान बनेगा। ईरान और रूस हौसी आदिवासियों की मदद करेंगे। हौसी आदिवासी कई साल पहले मिस्र के साथ हुए युद्ध और हाल ही में सऊदी अरब की गठबंधन सेना से जंग में दुनिया भर को अपनी ताकत का एहसास करा चुके हैं। यही वजह है कि अमेरिका और इसराइल यमन से पंगा नहीं लेना चाहते। जबकि यमन लगातार उन्हें उकसा रहा है। यही वजह है कि यमन की आदिवासी सेना ने अमेरिका के नौ सैनिक बेड़े तक पर मिसाइल दाग दी थी और नौ सैनिक बेड़े को पीछे हटना पड़ा था।

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