जमशेदपुर : मानगो के जाकिर नगर स्थित हुसैनी मोहल्ले में इमामबारगाह हजरत अबू तालिब अलैहिस्सलाम में शुक्रवार को मजलिस का आयोजन किया गया। दो मुहर्रम को आयोजित इस मजलिस में मस्जिद ए जफरिया के पेश इमाम मौलाना जकी हैदर ने इस्लाम की तारीख लोगों को बताई। उन्होंने लोगों को समझाया कि कर्बला की घटना की पृष्ठभूमि कई साल पहले से ही तैयार की जा रही थी। उन्होंने अकीदतमंदों से अपील की कि वह अपने घरों में भी मजलिस का आयोजन करें। भले ही वह फ्लैट में रहते हों। घर में ज्यादा जगह नहीं हो। लेकिन कुछ लोगों को ही बुलाकर मजलिस करें ताकि उनके घर की रौनक बढ़े। मौलाना जकी हैदर ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत का जिक्र किया और बताया कि यजीदी फौज का एक कमांडर हजरत हुर अलैहिस्सलाम किस तरह इमाम हुसैन को घेर कर कर्बला तक लाए थे और बाद में उनका हृदय परिवर्तन हुआ। वह यजीदी फौज छोड़कर अपने बेटे के साथ इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की फौज में शामिल हो गए। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से अनुमति लेकर अपने बेटे को मैदान-ए-जंग में भेजा। उनका बेटा शहीद हुआ और फिर हजरत हुर ने भी अपनी कुर्बानी पेश की। शुक्रवार की रात साकची में हुसैनी मिशन में भी मजलिस ए हुसैन का आयोजन हुआ।
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