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झारखंड पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष सूर्य सिंह बेसरा ने पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो संग की कुड़मी जाति को एसटी में शामिल करने की वकालत, कई अन्य जातियों को एसटी में शामिल करने की मांग, वृहद झारखंड का नारा किया बुलंद

न्यूज़ बी रिपोर्टर, जमशेदपुर : झारखंड में 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति को विधानसभा की मंजूरी मिलने के बाद अब कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। कभी सरकार के खिलाफ बोलने वाले सूर्य सिंह बेसरा कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के पक्ष में हैं। उन्होंने पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो के साथ सोमवार को बिष्टुपुर स्थित निर्मल गेस्ट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की वकालत की। उनके साथ पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो भी थे।

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आदिवासी बाहुल्य इलाकों को झारखंड में जोड़ने की मांग
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से बात करते हुए झारखंड पीपुल्स पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सूर्य सिंह बेसरा ने वृहद झारखंड बेहतर झारखंड का नारा बुलंद किया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार उड़ीसा और बंगाल के आदिवासी बाहुल्य इलाकों को झारखंड में शामिल करे और वृहद झारखंड बनाए। उन्होंने कहा कि कुड़मी ही नहीं झारखंड की पान, तांती, तेली, सूरी, तमाड़, कुम्हार आदि जातियों को एससी में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि जब यह जातियां में एसटी में शामिल हो जाएंगी। तब झारखंड में अनुसूचित जनजाति की आबादी 50% हो जाएगी। इसके बाद झारखंड ट्राईबल स्टेट बन सकेगा।

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अभी झारखंड में आदिवासियों की संख्या है 26 प्रतिशत
झारखंड पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि अभी झारखंड में आदिवासियों की संख्या 26% है। विधानसभा में कुल 81 सीटें हैं। इनमें से 28 सीटें अनुसूचित जनजाति को मिली हैं। इनकी संख्या बढ़ जाएगी तो अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व सीटों की संख्या बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि हर 10 साल में जनगणना होती है, और आदिवासियों की संख्या घटती जाती है‌। जब भी 20 साल में विधानसभा की सीटों का परिसीमन होता है अनुसूचित जनजाति की सीटों की संख्या घट रही है।
अर्जुन मुंडा कर रहे कुड़मी जाति की अनदेखी
उन्होंने अर्जुन मुंडा पर आरोप लगाया कि साल 2019 में शामिल होने की मांग कर रहे हैं। अर्जुन मुंडा केंद्रीय मंत्री हैं। उन्होंने हाल ही में एक जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया है। लेकिन कुड़मी की वह अनदेखी कर रहे हैं। सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि आदिवासियों की संख्या लगातार घट रही है। एक दिन ऐसा आएगा कि आदिवासी झारखंड में नगण्य रह जाएंगे।

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