जमशेदपुर : मानगो के जाकिर नगर इमामबारगाह में मोहर्रम की 6 तारीख को आयोजित मजलिस को मस्जिद ए जाफरिया के पेश इमाम मौलाना जकी हैदर ने खिताब किया। इस मजलिस में उन्होंने कर्बला की घटना की पृष्ठभूमि के बारे में लोगों को जानकारी दी। लोगों को बताया कि किस तरह पैगंबर हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम के नवासे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से मदीने में बैयत मांगी गई। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम मक्का होते हुए कूफा के लिए रवाना हुए। उन्होंने कूफा और बसरा में अपने सफीर भेजे। कूफा में हज़रत मुस्लिम अलैहिस्सलाम को भेजा तो बसरा में अपने एक सहाबी हजरत सुलेमान को भेजा। मसाएब में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के जवान बेटे हजरत अली अकबर का मसाएब पढ़ा गया। मौलाना जकी हैदर ने बताया कि हजरत अली अकबर अलैहिस्सलाम मैदान-ए-जंग में पहुंचे। जब यजीदी उनके सामने नहीं टिक पा रहे थे, तो एक साथ सभी ने हमला किया। हजरत अली अकबर अलैहिस्सलाम के सीने में बरछी लगी। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम मैदान में पहुंचे और जवान बेटे की लाश उठाकर खैमे में लाए। मसाएब सुनकर आजादार जारो कतार रोए। मजलिस के बाद हजरत अली अकबर अलैहिस्सलाम के ताबूत निकले। लोगों ने ताबूत की जियारत की। नौहा नूर शौकत ने पढ़ा।
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