जमशेदपुर: हजरत अली अलैहिस्सलाम के बेटे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के भाई हजरत अब्बास अलमदार की विलादत (जन्म) चार शाबान को हुई थी। इस हवाले से शिया मुसलमानों ने गुरुवार को खुशी मनाई। इस मौके पर मानगो के ज़ाकिर नगर में इमामबारगाह हजरत अबू तालिब अलैहिस्सलाम में महफिले मिलाद का आयोजन किया गया। महफिल में स्थानीय शायरों ने हज़रत अब्बास अलमदार की शान में कसीदा पढ़ा।
पेश इमाम मौलाना ज़की हैदर ने पढ़ा- हिम्मत-ए-तशनालबी जुर्रत-ए-एहसास हूं मैं, सारी दुनिया मुझे पहचान ले अब्बास हूं मैं। इफ्तिखार अली ने पढ़ा- गाज़ी तेरी मिसाल नहीं दो जहान में, ज़हरा ने खुद कसीदा पढ़ा तेरी शान में। पानी तेरी सबील का कैसे पिएगा वह, बोग्ज़े अली के कांटे हैं जिनकी ज़बान में। अफसर हसनैन ने पढ़ा अब्बास फातिमा की तमन्ना का नाम है, अब्बास का जहां में निराला मक़ाम है। इकबाल ने पढ़ा- हां फातिमा के लाल ने वह काम कर दिया, घड़ियां कटेंगी दीन-ए- मोहम्मद की चैन से। 56 बरस हुसैन रहे हैं रसूल से, महशर तलाक रसूल रहेंगे हुसैन से। शाकिर ने पढ़ा- दिल बेकरार रहता है ऐसा किए बगैर, लाखों सलाम तेरी करीमी पर या हुसैन। सलमान ने पढ़ा- उम्मुल बनी ने बेटे को बेदार कर दिया। कुछ मांगे बिना झोलियां भर देते हैं अब्बास, गाजी है सूरमा है जरी है दिलेर है। मैदान ए कारज़ार में आने की देर है। ज़की अख्तर ने पढ़ा- उसने अब्बास के आने की दुआ मांगी है। मौलाना सादिक अली ने अपनी तकरीर में हज़रत अब्बास की हयात-ए- तैयबा पर रोशनी डाली।