मंदिर के निर्माण की लागत में 1400 करोड़ रुपए की हुई बढ़ोतरी, पहले 400 करोड रुपए खर्च होने का था आकलन
न्यूज़ बी रिपोर्टर, अयोध्या : अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के मंदिर का भव्य निर्माण कार्य जारी है। इस मंदिर का बजट अब बढ़ गया है। अब इस मंदिर पर 1800 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। मंदिर निर्माण की समीक्षा के लिए अयोध्या के सर्किट हाउस में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में फैसला लिया गया है कि मंदिर का निर्माण हर हाल में साल 2024 तक खत्म कर लिया जाएगा और 15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन रामलला मुख्य मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान हो जाएंगे।
तैयार हो गया मंदिर का बाइलॉज
इस बैठक में मंदिर के बाइलॉज और रामलला की मूर्ति के निर्माण पर भी मंथन किया गया। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर के बाइलॉज को अंतिम रूप दे दिया गया है। अब मंदिर में जो भी काम होगा वह बाईलाज के अनुसार होगा।
इस बाइलाज के अनुसार मंदिर के निर्माण कार्य को लेकर कई उप समितियां गठित की जाएंगी। बैठक में मंदिर के बजट को अनुमति दे दी गई है। बजट पर ट्रस्ट की मुहर लग गई है।
मंदिर के आसपास बनाए जाएंगे सात मंदिर
मंदिर के आस पास सात और मंदिर बनाए जाएंगे। गौरतलब है कि मंदिर का निर्माण टीईसी कंपनी कर रही है। पहले तय हुआ था कि मंदिर के निर्माण पर आने वाला खर्च 400 करोड़ रुपए होगा। लेकिन, इधर बीच बढ़ी महंगाई और मंदिर की भव्यता को देखते हुए इसे बढ़ाकर 1800 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
70 एकड़ परिसर में 7 और बड़े मंदिर बनाए जाएंगे। यह मंदिर महर्षि वाल्मीकि मंदिर, महर्षि वशिष्ठ मंदिर, महर्षि विश्वामित्र मंदिर, महर्षि अगस्त्य मंदिर, माता शबरी मंदिर, निषादराज मंदिर और जटायु के मंदिर होंगे। इन मंदिरों के निर्माण के लिए जगह चिन्हित कर ली गई है।
रामलला की मूर्ति के आकार प्रकार पर फैसला जल्द
रामलला की मंदिर की मूर्ति कैसी होगी। इस पर अभी फैसला नहीं हो पाया है। कुछ लोगों का कहना है कि शालिग्राम शिला से रामलला के बाल रूप की प्रतिमा बने। तो वहीं कुछ का मानना है कि संगमरमर या कास्ट धातु से प्रतिमा बनाई जाए। ट्रस्ट इस मामले में मंदिर निर्माण कार्य में लगी तकनीकी टीम से राय लेगी और उसके बाद रामलला की मूर्ति पर निर्णय लिया जाएगा।
यही तकनीकी टीम मंदिर का डिजाइन तैयार कर रही है। डिजाइन इस तरह बनाई जा रही है कि मूर्ति ऐसी जगह स्थापित की जाए ताकि रामनवमी पर सूर्य की किरणें रामलला पर पड़ें।
प्लिंथ तक हो चुका है मंदिर का निर्माण
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का अधिकार मानते हुए मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था। मंदिर के प्लिंथ का निर्माण पूरा हो चुका है। इसमें 17000 घनफुट ग्रेनाइट के पत्थर लगाए गए हैं। कोर्ट के आदेश पर ही अलग से ट्रस्ट बना कर मंदिर निर्माण किया जा रहा है। यह ट्रस्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनाया था और संसद में बाकायदा इसका ऐलान किया गया था।