जमशेदपुर : जमशेदपुर में साल 1993 में टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष बीजी गोपाल की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में सिदगोड़ा के रहने वाले कुणाल जेना भी जेल भेजे गए थे। 17 साल तक जेल में रहने के बाद शनिवार को कुणाल जेना जेल से छूटे हैं। उन्हें सरकार ने जेल में अच्छा आचरण करने के बदले सजा पूरी करने से पहले ही छोड़ दिया है। कुणाल जेना के साथ दो अन्य मामलों में जेल में बंद दो अन्य बंदी भी छूट गए हैं। इस तरह, शनिवार को जेल में सजा काट रहे तीन बंदी रिहा किए गए हैं। कुणाल जेना ने बताया कि इस साल अच्छे आचरण वाले 8 बंदियों को जेल से रिहा करना था। पांच बंदी पहले छूट चुके हैं और तीन बंदी आज छूटे हैं। जेल से छूटने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कुणाल जेना ने बताया कि जिस दिन बीजी गोपाल की हत्या हुई थी और हत्यारे उनकी हत्या करने के बाद बाहर निकल रहे थे। तभी कुणाल जेना घटनास्थल के बाहर अपनी गाड़ी स्टार्ट कर रहे थे। पुलिस ने कुणाल जेना को सरकारी गवाह बनने के लिए कहा। लेकिन, कुणाल जेना ने गवाही देने से इनकार कर दिया था। इसी पर उनको जेल भेजा गया था। कुणाल जेना का कहना है कि वह निर्दोष थे। कुणाल जेना ने जेल के अंदर लगभग 400 बंदियों को शिक्षा दी है। इसके अलावा 208 बंदियों को अपराध न करने की प्रतिज्ञा दिलाई थी। उनका कहना है कि यह 208 बंदियों ने अपराध छोड़ दिया था। यह बंदी दोबारा जेल नहीं गए।
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