न्यूज़ बी रिपोर्टर, कोलकाता : देश का संघीय ढांचा बिखरने लगा है। राज्य सरकारें केंद्र सरकार को आंखें दिखाने लगी हैं। केंद्र सरकार द्वारा बराबर नियमों का उल्लंघन किए जाने और जानबूझकर एजेंसियों का इस्तेमाल करने से यह नौबत आई है। पश्चिम बंगाल में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच तनातनी अब संस्थाओं के स्तर तक पहुंच गई है। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के बागतुई गांव में बालू कारोबारी की हत्या के बाद सीबीआई जांच शुरू हुई तो अब सीबीआई और सीआईडी के बीच तलवार खिंच गई है। कानून के जानकारों का मानना है कि ऐसा होना भी चाहिए। इससे केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियों की स्वेच्छाचारी कार्रवाइयों पर लगाम लगेगी। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के बागतूई गांव में एक बालू कारोबारी भादू शेख की हत्या का मामला अब केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच वर्चस्व की लड़ाई के तौर पर सामने आया है। भादू शेख की 21 मार्च को हत्या कर दी गई थी। इसके बाद भीड़ नाराज हो गई और एक घर में गेट बंद कर आग लगा दी। इस घटना में घरों से महिलाओं और बच्चों समेत सात लोगों के जले हुए शव मिले। यह एक घटना थी और हत्या की प्रतिक्रिया थी। प्रतिक्रिया स्वरूप हुई इस हत्या को कोई भी जायज नहीं ठहरा सकता और इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार ने कार्रवाई भी शुरू की। लेकिन, केंद्र सरकार ने इसे भाजपा बनाम पश्चिम बंगाल सरकार के तौर पर प्रस्तुत करते हुए मामले में हस्तक्षेप शुरू कर दिया। दरअसल, भाजपा यह दिखाना चाहती थी की राज्य सरकार नाकारा है और जो हत्या हुई है वह राज्य सरकार के इशारे पर हुई है। इसमें राज्य सरकार की भी मिलीभगत है। इसी को लेकर मामला सीबीआई की जांच के लिए चला गया। सीबीआई ने इस मामले के एक आरोपी को झारखंड के पाकुड़ से 4 दिसंबर को गिरफ्तार किया। इस आरोपी का नाम ललन शेख है। सीबीआई की कस्टडी में ललन की मौत हो गई। किसी भी संस्था की कस्टडी में किसी की संदिग्ध मौत होती है तो संस्था के खिलाफ जांच होना स्वाभाविक है। यह हर प्रदेश और देश का कानून कहता है। लेकिन, सीबीआई के खिलाफ कौन जांच करेगा। इसे लेकर पश्चिम बंगाल ने सरकार ने कदम उठाया और ललन सिंह की पत्नी रेशमा ने रामपुरहाट पुलिस थाने में घटना के दिन ही सीबीआई के साथ अधिकारियों के खिलाफ हत्या समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर लिया। एफआइआर में सीबीआई के विलास, भास्कर मंडल, राहुल स्वरूप, सुजाता भट्टाचार्य के अलावा एक डीआईजी और एसपी भी शामिल हैं। हाईकोर्ट ने सीआईडी को सीबीआई अफसरों की जांच की इजाजत दे दी है। हालांकि, कार्रवाई पर रोक लगाई है। इस तरह, इस मामले में केंद्र सरकार की एजेंसी सीबीआई और राज्य सरकार की एजेंसी सीआईडी आमने-सामने आ गई हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है कि सीबीआई के अधिकारियों के खिलाफ जांच हुई है। राजनीति के विशेषज्ञों का मानना है कि सीबीआई के अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई के अधिकारियों ने कई बार जांच की है और सीबीआई के अधिकारियों को आरोपी पाया है। उनके खिलाफ कार्रवाई भी हुई है। सीबीआई के कई अधिकारी रिश्वत लेते हुए भी पकड़े गए हैं। इसलिए अगर सीआईडी आरोपी की संदिग्ध मौत के मामले में जांच करना चाहती है तो इसमें बुरा क्या है।
क्या है बालू कारोबार में तनातनी का मामला
बालू कारोबार में बीरभूम जिले के बागतुई कस्बे में कई गिरोह बने हुए हैं। लगभग 6000 की आबादी वाले इस गांव में 80 फ़ीसदी आबादी मुस्लिम की है। बालू और बजरी के चक्कर में यहां कई गुटों में अक्सर गोलियां चलती हैं। सूत्र बताते हैं कि स्थानीय नेता और पुलिस भी इसमें शामिल है और यह लोग उगाही करते हैं। बालू के अवैध कारोबार से बड़े पैमाने पर पैसा आता है और उगाही को लेकर गुटों में भिड़ंत होती रहती है। भादू की हत्या भी इसी उगाही के चलते होना बताया जाता है। गांव का उप प्रधान भादू शेख ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी से जुड़ा था। उसकी हत्या के बाद हिंसा भड़की। इस मामले में 21 मार्च को भादू शेख की पेट्रोल बम मारकर हत्या कर दी गई थी। हालांकि, एक सीसीटीवी फुटेज में भादू के सौतेले भाई जहांगीर का करीबी ललन शेख भादू पर बम फेंकता दिखा था। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में हिंसा का जिम्मेदार जहांगीर को बताया। 12 दिसंबर को ललन की संदिग्ध मौत को सीबीआई सुसाइड बता रही है। उसका कहना है कि ललन ने बाथरूम में जाकर आत्महत्या कर ली। लेकिन, इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। सीबीआई की कस्टडी में कैसे आत्महत्या हो सकती है। उधर, रेशमा शेख का कहना है कि सीबीआई के अधिकारी उसके पति को धमका रहे थे। 50 लाख रुपए रिश्वत मांग रहे थे। अब इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि सीबीआई की कस्टडी में ललन शेख की मौत कैसे हुई। जबकि, बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी सवाल उठा रहे हैं कि सीआईडी के खिलाफ सीबीआई के खिलाफ प्राथमिकी क्यों दर्ज हुई। उनका कहना है कि रेशमा शेख को सीबीआई के अधिकारियों के नाम किसने बताए। भाजपा नेता का कहना है कि जिन अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई है वह इस जांच में शामिल ही नहीं हैं। जबकि, राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यही सवाल भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी पर भी बनता है कि उनको किसने बताया कि यह अधिकारी इस जांच में शामिल नहीं हैं।
Beerbhoom News, Bengal News, Bengal police, CBI News, Jamshesdpur News, know what is the matter, the sword drawn between the two institutions, The tussle between the central government and the state government in Bengal reached the CBI and CID, दोनों संस्थाओं के बीच खिंची तलवार, बंगाल में केंद्र सरकार व राज्य सरकार के बीच तनातनी सीबीआई व सीआईडी तक पहुंची
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