न्यूज़ बी रिपोर्टर, लखनऊ : यूपी में सपा को कमजोर करने का अभियान शुरू हो गया है। इसका बीड़ा शिवपाल सिंह यादव और पूर्व सांसद डीपी यादव को दिया गया है। यह दोनों नेता करीब आ गए हैं। कई राउंड की बातचीत के बाद पूरा खाका तैयार किया गया है। तय हुआ है कि यह दोनों नेता एक नया गठबंधन तैयार कर यादव बिरादरी को लामबंद करेंगे। यह गोलबंदी 2024 में होने वाले चुनाव को देखते हुए की जा रही है, ताकि सपा के मूल वोट बैंक में सेंधमारी की जा सके। सपा को कमजोर करने के पहले चरण में यादव बिरादरी को सपा से तोड़ा जाएगा। प्लान बना है कि जिस यादव बिरादरी को मुलायम सिंह यादव ने सपा के झंडे तले गोल बंद कर राजनीतिक ताकत हासिल की थी, उस में बिखराव पैदा किया जाए। विरोधी दल जानते हैं कि सपा की मूल ताकत अल्पसंख्यक और यादव वोट बैंक हैं। अल्पसंख्यक वोट बैंक में बिखराव पैदा करने के लिए कुछ पार्टियों का गठन कर दिया गया है। अब यादव वोट बैंक को तोड़ने का काम शुरू है। कहा जा रहा है कि शिवपाल सिंह यादव और डीपी यादव मिलकर यादवों को सपा से तोड़ेंगे। ताकत बढ़ने के बाद अन्य छोटे दलों को भी मिलाया जाएगा। गुरुवार को एक यदुकुल पुनर्जागरण मिशन के नाम से सम्मेलन हो रहा है। इसमें प्रदेश भर से ढाई सौ यादव नेताओं को आमंत्रित किया गया है। कहा जा रहा है कि प्रदेश में 12 फ़ीसदी वोट बैंक में से अगर 6 फ़ीसदी वोट बैंक भी सपा से छिटक गया तो सपा कमजोर हो जाएगी। शिवपाल सिंह यादव ने पहले प्रसपा लोहिया बनाई थी, तो पूर्व सांसद डीपी यादव ने राष्ट्रीय परिवर्तन दल तैयार किया था। लेकिन, विधानसभा चुनाव में शिवपाल को सपा के टिकट पर विधायक बनने का मौका मिला। मगर, अब शिवपाल सपा से अपनी राह भूल चुके हैं। यदुकुल पुनर्जागरण मिशन में गुरुवार को जो बैठक हो रही है, उसमें डी पी यादव, बालेश्वर यादव, सुखराम यादव, मुलायम सिंह के समधी हरिओम यादव और तमाम पूर्व सांसद व पूर्व विधायक इकट्ठा होंगे। अभी इसे सामाजिक संगठन का नाम दिया जा रहा है। लेकिन, राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि निशाना सपा पर है।
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