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मजदूरों के बोनस का बंटाधार कर अपने मुंह मियां मिट्ठू बन रहे लोग

टाटा मोटर्स में 20% से कम बोनस होने पर टेल्को वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारियों ने कर्मचारियों को मीडिया के जरिए किया संबोधित
प्रिय साथियों,
6 वर्ष पूर्व टेल्को वर्कर्स यूनियन ने कंपनी के घाटे के दौर में 10.1% बोनस के साथ 321 अस्थाई कर्मियों को ऐतिहासिक तौर पर पुराने वेज में स्थायी करवाया था। लेकिन, टाटा मोटर्स की एक फर्जी यूनियन 2023 वार्षिक बोनस समझौता पर ऐसे बयान दे रही है, जैसे कि इसने मजदूरों को अच्छा बोनस दिलाया हो। लगता है कि कंपनी प्रबंधन के घुटने में बैठकर स्थायीकरण की संख्या को लेकर मांग की गई है ताकि पूर्व में 321 परमानेंट कर्मियों का आंकड़ा पार कर ऐतिहासिक शब्द का श्रेय लिया जाए। कहा जाए कि टेल्को वर्कर्स यूनियन से बेहतर समझौता हुआ है। इस फर्जी यूनियन के लोगों ने मजदूर के पॉकेट से पैसा निकाल कर केवल कंपनी हित में बहुत तरह के फंड का समझौता कर डाला है। यह बोनस मुनाफा में से थोड़ी रकम है। कंपनी ने फर्जी यूनियन से समझौता के सहारे कई तरह का फंड बना चुकी है। इसमें हर महीना कर्मचारियों के वेतन से कभी HPEV, QUALITY, SAFETY और कभी अन्य मद में कटौती की जाती है। इसी को साल भर जोड़कर कुछ पैसा मिला कर बोनस का नाम दिया जाता है। प्रचार किया जाता है कि परमानेंसी कहीं नहीं होती है। केवल टाटा मोटर्स में होती है। मजदूर यह समझ लें कि पूरे मजदूर की नाव को डुबाने में तीन व्यक्ति शामिल हैं। मजदूरों के बोनस का बंटाधार कर यह लोग 50 किलो माला लादकर यूनियन ऑफिस पहुंच जाते हैं।
आपका विश्वासी
आकाश दुबे व हर्षवर्धन

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