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रियासत और रिसालत को समझने का सबसे बड़ा केंद्र कर्बला है, मौलाना कल्बे रुशैद ने मस्जिद जाफरिया में मजलिस को किया संबोधित

रियासत और रिसालत को समझने का सबसे बड़ा केंद्र कर्बला है , मौलाना कल्बे रुशैद ने मस्जिद जाफरिया में मजलिस को किया संबोधित

जागरण संवाददाता, रांची :
मस्जिद जाफरिया में शुक्रवार को हजरत मौलाना सैयद तहजीबुल हसन रिजवी के दिवगंत माता-पिता की याद में मजलिस को इस्लामी विद्वान हजरत मौलाना सैयद कल्बे रुशैद रिजवी ने सम्बोधित किया। इनको सुनने के लिए ना सिर्फ शिया बल्कि अहल-ए-सुन्नत और अधिकांश शिक्षित वर्ग के लोग भी उपस्थत थे। इसमें सेंट्रल मुहर्रम कमेटी के महासचिव अकिलुर्रह्मान, जमीयतुल एराकिन के अध्यक्ष अब्दुल मन्नान, हाजी हलीम, अब्दुल खालिक, मो मुस्तकीम, हाजी मास्टर उस्मान, सैयद नेहाल अहमद, सोहेल सईद आदि थे। मौलाना सैयद कल्बे रुशैद ने मजलिस में कहा कि मुसलमान दो तरह के हैं। पहला रियासत वाले और दूसरे रिसालत वाले । रियासत वाले मुसलमान जमीनों के मालिक होते हैं। जमीन खरीदने या हड़पने की होती है। वे सिर्फ सत्ता या दबदबा चाहते हैं।। रियासत वाले मुसलमान राजा को अपना इमाम मानते हैं और रिसालत वाले मुसलमान इमाम को अपना राजा मानते हैं। रियासत वाले जमीन के मालिक होते हैं, और रिसालत वाले ज़मीर के मालिक होते हैं। जमीन बेची जाती है लेकिन ज़मीर नहीं बेचा जाता। कर्बला में जो लड़े वो काफिर नहीं थे। वे खुद को मुसलमान ही कहते थे। इस तरफ भी नमाजी थे, उस तरफ भी नमाजी थे। इस तरफ भी कुरआन वाले थे, उस तरफ भी कुरआन वाले थे। इसलिए किसी का नाम मत पूछो। बल्कि यह पूछना कि भाई हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान में एक लकीर खींची थी। तुम लकीर के इस तरफ वाले हो या उस तरफ वाले। बात समझ मे आ जएगी। अगर आप नाम कमाना चाहते हो तो फिर किताब उठाओ, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय बनाओ, पुस्तकालय का निर्माण करो, लोगों के कल्याण के लिए समय बिताओ। बैठक के अंत में मौलाना कल्बे की दुआ के साथ बैठक का समापन किया गया। सभी लोगों को हजरत मौलाना सैयद तहजीबुल हसन रिजवी ने शुक्रिया अदा किया। मजलिस के पूर्व सोजखानी सैयद अता इमाम रिजवी ने किया। पेशखानी कासिम अली और कमर अहमद ने की। मौके पर सैयद मेहदी इमाम, कांग्रेसी लीडर सैयद हसनैन जैदी, सैयद इकबाल फातमी, अमुद अब्बास, सैयद समर अली, सैयद फैजान हैदर, मुहम्मद करीम, नकी इमाम, सैयद तनवीर, सैयद तौकीर और अन्य थे।

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