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प्यास से तड़प रहे छह महीने के बच्चे को कर दिया कत्ल, जानें फिर क्या हुआ कर्बला के मैदान में

बच्चे को तीर चाहिए या शीर चाहिए, साकची में हुसैनी मिशन में हुई मुहर्रम की पांचवीं मजलिस
जमशेदपुर : शहर में मुहर्रम पर मजलिस व मातम का सिलसिला चल रहा है। साकची में हुसैनी मिशन की इमामबारगाह में शुक्रवार की रात मजलिस को शिया जामा मस्जिद के पेश इमाम मौलाना जकी हैदर करारवी ने खिताब किया। उन्होंने अपनी मजलिस में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के छह महीने के बच्चे हजरत अली असगर अलैहिस्सलाम के मसाएब पढ़े। मसाएब सुन कर अजादार खूब रोए। मजलिस के बाद गहवारा निकाला गया। अजादारों ने गहवारे की ज्यारत की। बाद में नौहाखानी व सीनाजनी हुई।
अपने बच्चों को बनाएं डाक्टर व इंजीनियर
मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना जकी हैदर करारवी ने पढ़ा कि आज मुसलमानों को ज्यादा से ज्यादा इल्म हासिल करने की जरूरत है। इल्म से दूर न भागें। जो लोग इल्म का खर्च नहीं उठा सकते और उनका बेटा पढ़ाई कर रहा है तो उस बच्चे की कौम के लोग मदद करें और बच्चों को इंजीनियर, डाक्टर, पायलट आदि बनाएं। मौलाना ने पढ़ा कि मजलिस में आने के लिए खून का ताहिर होना जरूरी है। क्योंकि परवरदिगार ए आलम ने अहलेबैत-ए-रसूल स. को हर नजासत से दूर रखा है।
मौलाना सियासत करें मगर दीनदारी से
उन्होंने कहा कि दीनी इल्म भी जरूरी है। अपने मजहब को समझें और इस्लामी किताबें भी पढ़ें। उन्होंने कहा कि अमामा लगा कर डाक्टरी और इंजीनियरिंग करने में कोई हर्ज नहीं है। मौलाना सियासत भी कर सकते हैं। इसमें कोई हर्ज नहीं है। मौलाना किसी देश का राष्ट्रपति बन सकता है। हां, अगर सियासत से दीन निकल जाए तो गलत है। सियासत करें और इस्लामिक उसूलों को याद रखें।
पढ़ी छह महीने के बच्चे की शहादत
मौलाना जकी हैदर करारवी ने छह महीने के बच्चे हजरत अली असगर अलैहिस्सलाम की शहादत का वाकया पढ़ा। उन्होंने पढ़ा कि कर्बला के मैदान में जब इमाम हुसैन तन्हा रह गए। तो इमाम ने एक आवाज बुलंद की- है कोई जो मेरी मदद को आए। इस आवाज के बाद खयाम-ए-हुसैनी से रोने की आवाज आने लगी। इमाम हुसैन खैमे में तशरीफ लाए तो पता चला कि इमाम की आवाज सुनने के बाद छह महीने के बच्चे हजरत अली असगर अलैहिस्सलाम ने खुद को झूले से गिरा दिया। इमाम ने अपने बच्चे को अपनी गोद में लिया और कहा कि मेरा बच्चा कई दिन से प्यासा है। लाओ इसे पानी पिला लाएं।
प्यास से तड़प रहा था बच्चा
इमाम हुसैन बच्चे को गोद में लेकर यजीदी फौज के सामने लाए और कहा- देखो तुम्हारी दुश्मनी मुझसे है। ये बच्चा प्यासा है। प्यास की वजह से बार बार मुंह खोलता है और बंद कर लेता है। इस बच्चे ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है। इस बच्चे को पानी पिला दो। इमाम हुसैन की बात सुन कर यजीदी फौज के कई सिपाही पानी के लिए दौड़ पड़े। लेकिन, इसी बीच अमर इब्ने साद ने हुरमुला से कहा कि बच्चे को कत्ल कर दो। इसे पानी न मिलने पाए।
हुरमुला ने भारी तीर से बच्चे के गले को बनाया निशाना
हुरमुला ने अपनी तरकश में सबसे वजनी तीर जोड़ा और अली असगर के गले पर मारा। किसी शायर ने इसे यूं बयान किया- हलक-ए-असगर, बाजु-ए-शाह कल्ब-ए-जहरा छिद गया, रन कहां जन्नत कहां देखो तो पल्ला तीर का। इमाम हुसैन ने बच्चे के खून को अपने हाथों पर लिया और चाहा कि जमीन पर फेंक दें। जमीन से आवाज आई ऐ इमाम, अगर यह खून-ए-नाहक इधर गिरा तो कयामत तक एक दाना जमीन से नहीं उगेगा। आसमान से आवाज आई-अगर ये खून ऊपर की तरफ फेंका तो कभी बरसात नहीं होगी। इमाम ने खून अपने चेहरे पर मल लिया। शायर कहता है- इंकार आसमान को है राजी जमीन नहीं, असगर तुम्हारे खून का ठिकाना कहीं नहीं। शाह चले सीने से लिपटाए हुए असगर की लाश, और ताजा हो गया यह फूल मुरझाने के बाद।
नन्हीं सी कब्र खोद कर असगर को गाड़ कर, शब्बीर उठ खड़े हुए दामन को झाड़ कर
इमाम जब बच्चे की लाश लेकर खैमे के दर पर आए तो सोचने लगे कि इसकी मां को कैसे आवाज दें। इमाम सात बार आगे बढ़े और फिर पीछे हट गए। फिर आगे बढ़ कर मां को आवाज दी। मां बच्चे की लाश देख कर बेहोश हो गई। इमाम की चार साल की बच्ची सकीना कहने लगी- बाबा असगर को पानी पिला लाए। हमारे लिए नहीं लाए। इमाम ने कहा बेटी असगर शहीद हो चुके हैं। इमाम ने अपने लख्त-ए-जिगर की लाश खैमे के पीछे दफन की। शायर लिखता है कि – नन्हीं सी कब्र खोद कर असगर को गाड़ कर, शब्बीर उठ खड़े हुए दामन को झाड़ कर।

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