ओंकार सिंह, जमशेदपुर : आगामी लोकसभा चुनावों की सुगबुगाहट के बीच भाजपा ने झारखंड की चौदह लोकसभा सीटों में से ग्यारह पर अपने प्रत्याशी घोषित कर बढ़त बना ली है। जबकि, बाकी की पार्टियाँ/ गठबंधन अभी तक यह निर्णय नहीं कर पा रहे हैं कि कौन सी सीट किस दल के खाते में जाएगी।इस अनिर्णय की स्थिति का फायदा उठाने के लिए ही भाजपा ने अपने उम्मीदवार उतार कर आक्रामक अंदाज का परिचय दे दिया है। विपक्ष सीटों के तालमेल में जितनी देर करेगा, उन्हें उतना ही नुक्सान का सामना करना पड़ सकता है। झारखंडी की तीन सीटों खूंटी, सिंहभूम और जमशेदपुर में यदि विपक्ष अपनी साख बचाना चाहता है तो उसे जल्द ही उम्मीदवार घोषित कर मैदान में उतरना होगा।खूंटी संसदीय सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी बहुत कम मतों के अंतर से पराजित हुए थे। अतः उनका दावा मज़बूत है। इसी प्रकार सिंहभूम संसदीय सीट पर प्रत्याशी के पाला बदलने से स्थिति उलट हो गई है। गठबंधन दलों को इसकी भरपाई करने हेतु जल्द उम्मीदवार देना चाहिए। राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री सहित अधिकांश विधायक झामुमो के हैं। ऐसे में इस सीट पर झामुमो का दावा मज़बूत है। रही बात कांग्रेस की तो बदले में जमशेदपुर संसदीय सीट कांग्रेस को दी जा सकती है। यहां उनके पास डाॅ अजय कुमार जैसे मज़बूत और स्वच्छ छवि के उम्मीदवार उपलब्ध हैं। जो बेदाग छवि के साथ अपनी योग्यता एवं कार्यकुशलता के लिए जाते हैं। शहर से लेकर ग्रामीण स्तर पर भी वे लोकप्रिय नेता हैं और इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। यदि उन्हें उम्मीदवार बनाया जाता है तो वे चुनावी गणित को बदलने व विजय की संभावना को मज़बूत कर सकते हैं। देखना दिलचस्प होगा कि गठबंधन दल इसे कितनी गंभीरता से लेते हैं तथा किस रणनीति के तहत मैदान में उतरते हैं? इसका उत्तर मिलना बाकी है।