न्यूज़ बी: कुछ इसराइली और अमेरिकी मीडिया संस्थानों का दावा है कि ईरानी प्रधानमंत्री इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुसैन आमिर अब्दुल्लाह्यान की हत्या की कोशिश की गई है। इन संस्थानों का दावा है कि ईरानी अधिकारियों का काफिला तीन हेलीकॉप्टर पर अजरबैजान की सीमा पर बने डैम का उद्घाटन करने पहुंचा था। इनमें से दो हेलीकॉप्टर दोपहर को ही सकुशल वापस लौट गए। लेकिन, जिस हेलीकॉप्टर पर ईरानी राष्ट्रपति और विदेश मंत्री सवार थे उसको निशाना बनाया गया है। अगर यह हत्या के प्रयास की घटना है तो इसे इसराइली खुफिया एजेंसी मोसाद ने अंजाम दिया होगा। गौरतलब है कि अज़रबाइजान और इसराइल के दोस्ताना संबंध हैं। जिस डैम का उद्घाटन हुआ उसके कार्यक्रम में अजरबाइजान के राष्ट्रपति इलहाम अलीयेव भी मौजूद थे। यानी अजरबाइजान के उच्च सैन्य अधिकारियों और खुफिया अधिकारियों को इस बात की जानकारी थी कि ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी इस कार्यक्रम में कितने बजे पहुंचेंगे। उनका रूट चार्ट क्या है। वह कितने बजे वापस लौट रहे हैं। क्योंकि यह अधिकारी अपने राष्ट्रपति के रूट चार्ट से वाकिफ थे और अपने राष्ट्रपति के साथ मौजूद भी थे। अज़रबाइजान में इसराइल के सैनिक अड्डे भी हैं। इसराइल के सैनिक अधिकारी भी इन अड्डों पर रहते हैं। हो सकता है कि अजरबाइजान की सेना के किसी अधिकारी ने ईरानी राष्ट्रपति से संबंधित मालूमात इसराइली सेना तक पहुंचा दी हो। दूसरी तरफ, पूरा ईरान हाई अलर्ट पर है। ईरानी सेना को लामबंदी का आदेश दिया गया है। लामबंदी का आदेश तब दिया जाता है जब युद्ध की स्थिति होती है। इसराइली और अमेरिकी मीडिया संस्थानों का दावा है कि यह घटना रविवार की दोपहर को घटी है। अभी तक ईरानी राष्ट्रपति और विदेश मंत्री का कुछ पता नहीं चल पाया है। उनके साथ हेलीकॉप्टर में ईरानी प्रांत पूर्वी अजरबाइजान के गवर्नर भी थे। साथ ही तबरेज के पेश इमाम भी मौजूद थे। खबर है कि हेलीकॉप्टर में मौजूद एक अधिकारी ने सैन्य अधिकारियों से फोन पर संपर्क किया है। पूरा ईरान सड़क पर उतरकर राष्ट्रपति और विदेश मंत्री के साथ हेलीकॉप्टर में मौजूद सभी लोगों के सकुशल वापस आने की दुआ कर रहा है। जानकारों का कहना है कि युद्ध के कुछ नियम होते हैं। दो देशों में भले ही कितनी भी दुश्मनी हो लेकिन वह एक दूसरे के सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या मंत्री को निशाना नहीं बनाते। ना उनके जहाज और हेलीकॉप्टर को निशाना बनाया जाता है। इसीलिए अजरबाइजान की सीमा पर ईरानी राष्ट्रपति और विदेश मंत्री भी इस बेफिक्री में थे की कोई भी उन्हें निशाना बनाने की हिमाकत नहीं करेगा।
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