जमशेदपुर : मानगो के जाकिर नगर इमामबारगाह में रविवार को मजलिस का आयोजन हुआ। इस मजलिस को मानगो की मस्जिद ए जफरिया के पेश इमाम मौलाना जकी हैदर ने खिताब किया। मजलिस में उन्होंने कर्बला की घटना की पृष्ठभूमि बयान की। उन्होंने बताया कि जब यजीद खलीफा बना तो उसने मदीने के गवर्नर वलीद को पत्र लिखकर हुक्म दिया कि वह इमाम हुसैन से बैयत ले। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने बैयत से इनकार किया। इसके बाद इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम अपने नाना हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम की मजार पर गए और अपनी मां जनाब फातिमा जहरा सलवातउल्ला अलैहा की मजार पर गए। वहां से विदा होकर इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम मक्का पहुंचे। यहां मदीने से एक और व्यक्ति अब्दुल्लाह इब्ने जुबैर मक्का पहुंच चुके थे। पहले मक्के के लोग अब्दुल्लाह इब्ने जुबैर के पास जमा हुए। लेकिन जब इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम मक्का पहुंच गए तो लोग इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के पास जमा होने लगे। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने मक्का में शोबे अबू तालिब में अपना ठिकाना बनाया। हजरत अली अलैहिस्सलाम के एक बेटे मोहम्मद हनफिया को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने कई जिम्मेदारियां सौंप कर मदीने में रोक दिया था। बाद में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के कत्ल के इरादे से यजीदी मक्के में जमा होने लगे। इसी वजह से इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम मक्के से निकले और कूफे की तरफ रवाना हुए। मौलाना जकी हैदर ने मसाएब में औन व मोहम्मद के मसाएब पढे। उन्होंने बताया कि औन व मोहम्मद इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की बहन जनाबे जैनब सलवतउल्ला अलैहा के बेटे थे। दोनों बच्चों ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से मैदान में जाने की इजाजत मांगी और दोनों बच्चे लड़ते लड़ते फरात के किनारे तक पहुंच गए। तब यजीदियों ने मिलकर हमला किया और दोनों को शहीद कर दिया। साकची में हुसैनी मिशन में भी मजलिस हुई। इस मजलिस को भी मौलाना जकी हैदर ने खिताब किया। मजलिस के बाद नौहा ख्वानी और सीनाजनी भी हुई।
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