काम आया रांची हिंसा में मृत युवकों के परिजनों से मिलकर रखा गया मरहम
न्यूज़ बी रिपोर्टर, रांची : मांडर में हुए विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के नेता व पूर्व विधायक बंधु तिर्की की बेटी शिल्पी नेहा तिर्की ने जीत दर्ज की है। रविवार को उनकी जीत का एलान हुआ। शिल्पी ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा की गंगोत्री कुजूर को 23 हजार 690 वोट से हराया है। पिछली बार शिल्पी के पिता बंधु तिर्की ने जेवीएम के टिकट पर चुनाव लड़ कर भाजपा के देव कुमार धान को 23 हजार 127 वोट से हराया था। शिल्पी नेहा तिर्की की जीत से कांग्रेस को संजीवनी मिली है। दरअसल यह जीत कांग्रेस की नहीं है। बल्कि बंधु तिर्की के अपने दमखम का नतीजा है। इलाके के मुस्लिम वोट पर बंधु तिर्की की पकड़ है। हालांकि राज्य सरकार की नीति के चलते शुरुआत में उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था और लग रहा था कि इस बार भाजपा यहां से बाजी मार ले जाएगी। लेकिन बंधु तिर्की ने रात दिन एक कर रूठे हुए अल्पसंख्यकों को मनाया और नतीजा सामने है। बंधु तिर्की मांडर की सोशल इंजीनियरिंग से वाकिफ हैं। इसीलिए उन्होंने बड़े करीने से चुनाव के दौरान अल्पसंख्यक मतों को छिटकने से रोक लिया। एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के भाषण के बाद लग रहा था कि अल्पसंख्यक वोट बंधु तिर्की से छिटक जाएंगे। लेकिन बंधु तिर्की ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने मुहिम चलाई और मुसलमानों को समझाया कि बंधु तिर्की उनके लिए हमेशा खड़ा रहेगा। बंधु तिर्की सियासत के माहिर माने जाते हैं। उन्होंने माहौल शुरुआत में ही भांप लिया था। इसीलिए वह फौरन रांची पहुंचे थे और रांची हिंसा में जिन मुस्लिम किशोरों की जान गई थी। उनके घर जाकर दर्द पर पहले ही मरहम रख आए थे। इसी मरहम ने काम किया और घाव को नासूर बनाने एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी कामयाब नहीं हो सके। वरना, राज्य सरकार के गृह विभाग की नीति ने तो कबाड़ा कर दिया था।