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मजलिस के साथ ही चला नजर व नियाज़ का सिलसिला, इमाम हुसैन के भाई हजरत अब्बास अलमदार को किया गया याद

जमशेदपुर: मोहर्रम की आठवीं तारीख को मजलिस के साथ ही नजर व नियाज़ का सिलसिला चला। इसके अलावा मानगो के ज़ाकिर नगर इमामबाड़ा और साकची के हुसैनी मिशन के इमामबाड़ा में मजलिस हुई। मजलिस में मौलाना जकी हैदर करारवी ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के भाई हजरत अब्बास अलमदार के मसाएब पढ़े।
साकची के हुसैनी मिशन में रात 8:00 बजे मजलिस शुरू हुई। मजलिस को शिया जामा मस्जिद के पेश इमाम मौलाना जकी हैदर करारवी ने खिताब फरमाया। इस मजलिस में मौलाना जकी हैदर ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के भाई हजरत अब्बास अलमदार के मसाएब पढ़े। मौलाना ने मसाएब में पढ़ा कि हजरत अब्बास अलमदार जब अपने भाई इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से जंग की इजाजत मांगने गए तो उन्हें जंग की इजाजत नहीं मिली। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने उन्हें पानी लाने की इजाजत दी। इसके बाद हजरत अब्बास अलमदार मुश्क लेकर पानी लाने के लिए रवाना हुए। हजरत अब्बास अलमदार मश्क में पानी लेकर जब लौट रहे थे, तो यजीदी फौजों ने उन्हें घेर लिया। तीरों की बारिश कर दी। पीछे से आकर‌ उनके दोनों बाजू काट दिए। हजरत अब्बास ने अपने दांतों से मश्क पकड़ी और घोड़े को तेजी से खैमे की तरफ रवाना किया। ताकि, इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के बच्चों तक पानी पहुंचा सके। लेकिन, यजीदी फौज ने तीर मार कर मश्क़ में छेद कर दिया और सारा पानी बह गया। इसके बाद हजरत अब्बास ने अपने घोड़े को जंग के मैदान की तरफ मोड़ दिया और शहादत पाई। मजलिस के बाद नौहा खानी और सीनजनी हुई। इसके पहले मानगो के ज़ाकिर नगर में मजलिस को मौलाना जकी हैदर करारवी ने खिताब फरमाया। यहां भी नौहा खानी और सीनाजनी हुई। मोहम्मद शाकिर, खुर्शीद आदि ने नौहा पढ़ा। इसके बाद, हजरत अब्बास अलमदार की नजर हुई। यहां के बाद मोहम्मद मेहदी, मोहम्मद राशिद और नूर शौकत के घर पर नजर का एहतमाम किया गया। दोपहर बाद ढाई बजे मुहम्मडन लाइन में आशकार हुसैन के यहां भी मजलिस हुई। यहां भी नजर का एहतमाम किया गया था।

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