न्यूज़ बी रिपोर्टर, रांची : राजधानी के हाई सिक्योरिटी जोन में दिनदहाड़े अपराधी कालू लामा के मर्डर के बाद प्रशासन मोरहाबादी मैदान से दुकानें हटाने जा रहा है। प्रशासन के निर्देश पर रांची नगर निगम रविवार की सुबह से बुलडोजर लगाकर दुकानों को तोड़ने का अभियान चलाने वाला था। इसके लिए तैयारी कर ली गई थी। परंतु, अचानक यह अभियान टाल दिया गया है। अब यह अभियान सोमवार को चलाया जा सकता है। अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का शहादत दिवस होने की वजह से अभियान टाला गया है। इसके अलावा रविवार भी है। अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टी होती है। छुट्टी में उन्हें डिस्टर्ब करना ठीक नहीं है। इसे देखते हुए भी अभियान टाल दिया गया। माना जा रहा है कि अब सोमवार को यह अभियान चलाया जाएगा। रविवार को भी मोरहाबादी मैदान के आसपास पुलिस की तैनाती की गई है। पुलिस पेट्रोलिंग कर रही है। किसी भी दुकानदार को दुकानें खोलने नहीं दी गई। दुकानदार मान्या पैलेस के सामने धरने पर बैठे हुए हैं। दुकानदारों का कहना है कि सरकार उन्हें उजाड़ कर गलत कर रही है। सुप्रीम कोर्ट का आर्डर है कि सरकार पहले फुटपाथ दुकानदारों को कहीं बस आए तब एन्क्रोचमेंट हटाए। सरकार को चाहिए कि पहले फुटपाथ दुकानदारों को कहीं बसाया जाए। तब उन्हें हटाया जाए। एक दुकानदार का कहना है कि रांची नगर निगम जिस नाइट मार्केट की बात कर रहा है वह भी अस्तित्व में है ही नहीं। सिर्फ उसका खाका तैयार हुआ है। निर्माण कार्य भी चालू नहीं हुआ। नाइट मार्केट बनने में तीन-चार साल का समय लगेगा। इसलिए रांची नगर निगम को चाहिए कि वह दूसरी जगह इन दुकानदारों को बसाए। आजसू के एक नेता ने कहा कि शहर में कई जगह हत्याएं हुई हैं। वहां बाजार नहीं बंद कराया गया। मोरहाबादी में भी हत्या हुई तो यहां दुकानें क्यों बंद कराई जा रही है। दुकानें क्यों हटाई जा रही हैं। कुल मिलाकर दुकानदार इस मुद्दे को लेकर सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहे हैं। अधिकारी किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे पा रहे हैं। अधिकारियों का यही कहना है कि ऊपर से आदेश है तो दुकानें हटाई जाएंगी। एक दुकानदार का कहना है कि हो सकता है कि रांची नगर निगम दुकानें तोड़ने की कार्रवाई ना करे। इसकी जगह दुकानें खुलने ही न दी जाएं। तो दुकानदार अपने आप हतोत्साहित होकर दुकान हटा लेंगे। बता दें कि रांची नगर निगम ने दुकानें हटाने के लिए 24 घंटे का समय दिया था। लेकिन अभी तक एक भी दुकानदार ने अपनी दुकान नहीं हटाई है। इस मुद्दे पर भाजपा भी सरकार पर निशाना साध रही है। भाजपा के नेताओं का कहना है कि सरकार बेवजह लोगों की दुकानें हटा रही है। सरकार अगर रोजगार नहीं दे सकती तो उसे दुकानें हटाने का कोई अधिकार नहीं है।