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लोकसभा चुनाव: जयंत सिन्हा से तेज निकले जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो, नहीं गलने दी दिग्गजों की दाल

झारखंड में लोकसभा की 11 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर भाजपा की गुटबाजी खत्म करने की कवायद 

जमशेदपुर : भाजपा ने झारखंड में लोकसभा की 14 में से 11 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर गुटबाज़ी खत्म करने की कोशिश की है। जिन लोकसभा सीटों से अभी किसी उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं हुआ है, उनमें धनबाद, चतरा और गिरिडीह की सीटे हैं। यहां अभी भाजपा के उम्मीदवार तय नहीं हो पाए हैं। बाकी जगहों पर अमूमन वहां के सिटिंग सांसद को ही उम्मीदवार बनाया गया है। लेकिन, हजारीबाग से सांसद जयंत सिन्हा का टिकट काट दिया गया है। यहां से मनीष जायसवाल को टिकट दिया गया है। इससे नाराज जयंत सिन्हा ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है। इसके अलावा, जयंत सिन्हा के पास कोई चारा नहीं बचा था। सूत्र बताते हैं कि आखिरी समय तक जयंत सिन्हा ने अमित शाह से संपर्क साध कर टिकट हासिल करने की कोशिश की। लेकिन, कामयाब नहीं हुए। जब उन्हें लगा कि अब उन्हें लोकसभा का टिकट हाथ लगेगा तो राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया। जमशेदपुर लोकसभा सीट पर भी कई दिग्गज टिकट हथियाने की होड़ में लगे थे। लेकिन यहां से भाजपा ने सांसद विद्युत वरण महतो पर ही भरोसा जताया है। सूत्रों की मानें तो इस सीट से बहरागोड़ा के पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी जमशेदपुर से लोकसभा का टिकट पाने के लिए हाथ पैर मार रहे थे। इसके लिए उन्होंने कई बार दिल्ली का चक्कर भी लगाया। लेकिन, भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने सूझबूझ का परिचय देते हुए सांसद विद्युत वरण महतो को ही टिकट थमाया है। इसके पीछे लोकसभा सीट में महतो मतदाताओं की संख्या को कारण माना जा रहा है। इस लोकसभा सीट पर महतो मतदाताओं की खासी संख्या है। भाजपा नेतृत्व को लगा कि अगर विद्युत वरण महतो का टिकट काटा जाता है तो महतो बिरादरी नाराज हो जाएगी और फिर जो भी उम्मीदवार होगा उसे जिताना बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर होगी। बहरागोड़ा के पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी पहले झामुमो में थे। वह झामुमो के टिकट पर विधायक भी बने थे। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास उन्हें भाजपा में लेकर आए थे। कुणाल षाड़ंगी की पूरी राजनीति रघुवर दास पर टिकी थी। लेकिन, रघुवर दास को राज्यपाल बनाकर ओडिशा भेज देने के बाद कुणाल षाड़ंगी की दावेदारी कमजोर पड़ गई थी। सूत्रों की मानें तो जमशेदपुर लोकसभा सीट से अर्जुन मुंडा भी अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने भी शीर्ष नेतृत्व को समझाने की कोशिश की कि वह पहले भी यहां से जीत चुके हैं। लेकिन टिकट प्राप्त करने में उनकी दाल नहीं गली। अर्जुन मुंडा को खूंटी से ही टिकट दिया गया है। अर्जुन मुंडा को लग रहा है कि खूंटी से जीतना उनके लिए मुश्किल होगा। इसी के चलते वह अपना निर्वाचन क्षेत्र बदलना चाहते थे। इसके अलावा राजमहल से ताला मरांडी, दुमका से सुनील सोरेन, गोड्डा से निशिकांत दुबे, कोडरमा से अन्नपूर्णा देवी, रांची से संजय सेठ, सिंहभूम लोकसभा सीट से घोटाले के आरोप में कई साल जेल में रहे मधुकोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा, खूंटी से पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, लोहरदगा से समीर उरांव और पलामू से विष्णु दयाल राम को टिकट दिया गया है।

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