सीजीपीसी के पूर्व प्रधान गुरमुख सिंह मुखे ने जेल से छूटने के बाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस, बोले भगवान सिंह ने चुनाव जीतने के लिए साजिश के तहत जेल भिजवाया
जमशेदपुर : सीजीपीसी के पूर्व प्रधान गुरमुख सिंह मुखे ने जेल से छूटने के बाद गुरुवार को मानगो के डीएस इंटरनेशनल होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि जिस पीड़ित महिला ने उनके खिलाफ कदमा थाने में दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। उसकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता खड़ा कर सके। उसके पीछे माफिया हैं। उनके पीछे कौन लोग हैं। जिला प्रशासन इसकी जांच करे। इन लोगों ने करोड़ों रुपए की संपत्ति इस महिला की आड़ में कब्जा की है। इसकी जांच होनी चाहिए। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुरमुख सिंह मुखे ने कहा कि वह बेकसूर हैं। उन्होंने किसी महिला के साथ कोई अप्राकृतिक यौनाचार या दुष्कर्म नहीं किया था। उन्हें सीजीपीसी के वर्तमान प्रधान भगवान सिंह ने फर्जी तौर से फंसा दिया था। भगवान सिंह ने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि वह सीजीपीसी का चुनाव जीतना चाहते थे। गुरमुख सिंह मुखे ने कहा कि अगर वह जेल नहीं जाते तो भगवान सिंह चुनाव नहीं जीत सकते थे। इसीलिए उन्होंने साजिश रच कर एक महिला से उनके खिलाफ कदमा थाना में साल 2022 में प्राकृतिक दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया और उन्हें जेल भिजवाया। अधिवक्ता कृष्ण मुरारी सिंह ने बताया कि इस मामले में गुरमुख सिंह मुखे को सुप्रीम कोर्ट ने तीन जनवरी को ज़मानत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पीड़ित पक्ष और आरोपी दोनों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया है। अधिवक्ता ने बताया कि पीड़ित महिला ने गुरमुख सिंह मुखे से पहले भी कई लोगों पर इसी तरह के आरोप लगाए थे। इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी है। उन्होंने बताया कि पीड़ित महिला ने इसके पहले मानगो के रहने वाले मनोज कुमार शर्मा के खिलाफ साल 2014 में दुष्कर्म के आरोप में केस दर्ज कराया गया था। बाद में मनोज शर्मा ने भी रंगदारी मांगने का केस पीड़ित महिला पर दर्ज कराया था। पीड़ित महिला ने अपनी बेटी के अपहरण का केस भी बिरसानगर थाने में साल 2013 में दर्ज कराया था। बाद में उनकी नाबालिग बेटी ने धारा 164 के बयान में कहा था कि उसका किसी ने अपहरण नहीं किया था। वह खुद अपने मर्जी से गई थी। यहां तक कि पीड़ित महिला की नाबालिग बेटी ने अपनी मां पर आरोप लगाया, जिसके बाद कोर्ट ने नाबालिग बेटी को उसकी मां को नहीं सौंपा था। पीड़ित महिला ने गोविंदपुर के रहने वाले तारा सिंह के खिलाफ भी टेल्को थाने में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरमुख सिंह मुखे को जमानत दी कि पीड़ित महिला की आदत बन चुकी है कि वह लोगों को ब्लैकमेल करने के लिए मुकदमें दर्ज कराती है। अधिवक्ता ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने जब्त सामान की फोरेंसिक रिपोर्ट तक कोर्ट में अब तक नहीं सौंपी है। इस घटना का जो वीडियो है,वह भी फर्जी है। अधिवक्ता ने कहा कि पुलिस ने इस वीडियो की जांच रिपोर्ट अब तक कोर्ट में नहीं पेश की है।