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बायोगैस प्लांट बनाने के लिए समतल हो रही जमीन

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झिरी में कचरे के निस्तारण के लिए गेल बायोगैस प्लांट लगाने जा रही है। इस पर 30 करोड़ रुपये खर्च होंगे। प्लांट में जो नया कचरा झिरी पहुंचेगा, उससे बायोगैस बनाई जाएगी। बायोगैस के निर्माण के लिए टूर ट्रेंचिंग और जमीन के समतलीकरण का काम चल रहा है।

सड़क बनने के बाद शुरू होगा प्लांट का निर्माण

झिरी में रिंग रोड से बायोगैस प्लांट की चिन्हित साइट तक नगर निगम लगभग 600 फीट लंबी डबल लेन सड़क बनाएगा। इस सड़क के निर्माण के लिए डीपीआर तैयार किया जा रहा है। डीपीआर स्वीकृत होने के बाद इसका टेंडर होगा। सड़क के निर्माण पर छह करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यह सड़क इसलिए बनाई जा रही है, ताकि गेल को बायोगैस प्लांट स्थापित करने में आसानी हो। इस सड़क के निर्माण के बाद बायोगैस प्लांट के निर्माण का कार्य तेजी से शुरू होगा। बायोगैस प्लांट के लिए झिरी के बगल में नगर निगम ने गेल को 7 एकड़ जमीन दे दी है। इस बायोगैस प्लांट में गीले कचरे से बायोगैस तैयार की जाएगी।

शहर के चार केंद्रों पर सीडीसी कंपनी करेगी सूखे कचरे का निस्तारण

शहर के चार केंद्रों पर रांची नगर निगम द्वारा चुनी गई सीडीसी कंपनी सूखे कचरे का निस्तारण करेगी। सूखे कचरे के निस्तारण के लिए शहर में मधुकम, नागा बाबा खटाल, खेल गांव और मोरहाबादी में चार केंद्र बनाए जा रहे हैं। यह केंद्र 50 डिसमिल जमीन पर बनाए जाएंगे। इन केंद्रों पर सूखे कचरे का निस्तारण कर सीडीसी कंपनी इससे पॉलिथीन, टी-शर्ट, जूता आदि का निर्माण करेगी। कचरा निस्तारण के लिए मशीनें लगाई जाएंगी।

झिरी में अभी जो कचरे का पहाड़ है। इसे बायो माइनिंग कर खत्म किया जाएगा। बाद में जो भी कचरा झिरी पहुंचेगा उनमें से गीले कचरे से बायोगैस प्लांट में बायोगैस बनाई जाएगी। जबकि सूखे कचरे को शहर के ही 4 केंद्रों पर निस्तारित किया जाएगा।

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