Home > Entertainment > गोपाल मैदान में जनजातीय समुदाय ने बिखेरी लोक नृत्य की छटा

गोपाल मैदान में जनजातीय समुदाय ने बिखेरी लोक नृत्य की छटा

पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों और जनजातीय शिल्प कौशल से भी रूबरू हुए दर्शक
न्यूज़ बी रिपोर्टर, जमशेदपुर :
बिष्टुपुर के गोपाल मैदान में चल रहे संवाद के तीसरे दिन दापोन (बौने लोगों का एक थिएटर बैंड) और दा शग्स ने अपने प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
असम की दापोन जनजाति ने किनू कोव नामक नाटक का प्रदर्शन किया। लद्दाख के दा-शुग्स बैंड ने लोकसंगीत और रॉक मिश्रित प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। यह एक संगीत बैंड है, जिसका उद्देश्य लद्दाख की जनजातियों के लोक संगीत को संरक्षित और पुनर्जीवित करना है। लद्दाखी में ‘दा’ का अर्थ है ध्वनि और ‘शुग्स’ का अर्थ है बल या ऊर्जा। इसके सदस्य म्यूजिकल सोसाइटी ऑफ लद्दाख (एमएसएल) के संस्थापक सदस्य भी हैं। उनके गीतों में सर्दियों की प्राकृतिक सुंदरता और लद्दाख के खूबसूरत स्थलों का वर्णन है। संवाद 2022 में, पारंपरिक ज्ञान का प्रतिनिधित्व करने और पारंपरिक चिकित्सकों के जनजातीय औषधीय ज्ञान की खोज करने के लिए नक्षत्र वन का एक मॉडल स्थापित किया गया है।

पश्चिम बंगाल, लद्दाख, गुजरात, असम, तेलंगाना, सिक्किम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के आदिवासी समुदायों की करिश्माई संगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने आज गोपाल मैदान में संवाद के तीसरे दिन जनजातीय संस्कृति के पारखी लोगों को बांधे रखा।

महाराष्ट्र की जनजाति ने घूमर गौरी नृत्य का किया प्रदर्शन
महाराष्ट्र की वारली जनजाति ने दो नृत्य, घोर/टिपरी और गौरी नृत्य का प्रदर्शन किया, जो आमतौर पर दीपावली और गणेश चतुर्थी के दौरान किया जाता है। समुदाय के लोग आकर मेहमानों को अपने घरों में आमंत्रित करते हैं और इस अवसर का जश्न मनाने के लिए इस नृत्य का प्रदर्शन करते हैं। वारली अपने चित्रों के लिए प्रसिद्ध हैं। वे वारली भाषा बोलते हैं, जो मराठी की एक बोली है। वे प्रकृति की पूजा करते हैं।
सिक्किम की लोपचा जनजाति ने भी दर्शकों का मन मोहा
दर्शकों का मनोरंजन करने की अगली बारी सिक्किम की लेपचा जनजाति की थी, जिन्होंने पहाड़ों, पहाड़ियों और टीलों की पूजा को दर्शाते हुए च्यू फास्ट लोक नृत्य पेश किया। माइल-ल्यांग के लेपचाओं (सिक्किम, दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और वे स्थान जहाँ लेप्चा निवास करते हैं) के अनुसार पहाड़ों, पहाड़ियों और टीलों का धर्म की दृष्टि से बहुत महत्व है। प्रस्तुति फसल पकने के साथ बुवाई और खेत को साफ करने में कड़ी मेहनत दिखाती है, उनकी सफलता और भरपूर इनाम का जश्न मनाती है।
राठवा नृत्य से मंत्रमुग्ध हुए दर्शक
राठवा जनजातियों के समूह ने उत्साह से भरे रंग बिरंगे और ऊर्जा से भरपूर नृत्य राठवा-नि-घेर का प्रदर्शन किया जिसे आमतौर पर होली के त्योहार के दौरान किया जाता है। यह जनजाति गुजरात और मध्य प्रदेश की सीमाओं में बसते हैं। इस कृषक जनजाति में अपनी कुल-देवी की पूजा करने की परंपरा है।
तेलंगाना का पारंपरिक नृत्य भी किया गया पसंद
तेलंगाना के गोंड ने आमतौर पर दीपावली और कटाई के बाद के मौसम के दौरान डंडारी-गुसाडी नृत्य का प्रदर्शन किया। राज गोंड और कोलम तेलंगाना के सबसे उत्तरी जिलों से ताल्लुक रखते हैं। समारोह के दौरान उत्तरी तेलंगाना के सभी गोंड गांव उत्सव के एम्फी-थिएटर में बदल जाते हैं।
गुजरात की लोक कला से रूबरू हुए दर्शक
गुजरात की सिद्धि जनजाति ने एक अद्वितीय पवित्र नृत्य धमाल का प्रदर्शन किया। सिद्धि गुजरात के जूनागढ़ जिले से ताल्लुक रखनेवाले एक जातीय समुदाय है। वे कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में भी पाए जाते हैं। धमाल सिद्धि समुदाय का एक अनूठा पवित्र नृत्य है जो परंपरागत रूप से सूखा, भारी बारिश या स्थानिक प्राकृतिक आपदाओं (जैसा कि वे कहते हैं) से बचने के लिए किया जाता है। पुरुष अपने चेहरे को रंगते हैं और पत्तों या मोर के पंखों से बने वस्त्र पहनते हैं। पश्चिम बंगाल की महाली जनजाति ने झूमर नृत्य व गीत प्रस्तुत किया। महाली जनजातियाँ पारंपरिक रूप से मुख्य रूप से बाँस से बनी वस्तुओं को बेचकर अपने भरण-पोषण की जरूरतों को पूरा करती हैं।
चौथे दिन की मुख्य विशेषताएं
जनजातीय कला और हस्तशिल्प (सुबह 9:30 बजे- दोपहर 12:30 बजे और शाम 6:00 बजे- रात 9:00 बजे तक)
जनजातीय उपचार पद्धतियां (सुबह 9:30 बजे- दोपहर 1:00 बजे और दोपहर 3:00 बजे-रात 9:00 बजे तक)
जनजातीय भोजन (शाम 6:00-रात 9:00 बजे तक)
सांस्कृतिक समारोह (शाम 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक)

You may also like
Jamshedpur Court: जमशेदपुर न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता का लंबी बीमारी के बाद निधन, कार्य से विरत रहे अधिवक्ता
Tusu Fare : बिष्टुपुर में 21 जनवरी को लगेगा विशाल टुसू मेला
Ranchi Street Market : डोरंडा में बनाई जाएगी मॉडर्न रोडसाइड मार्केट स्ट्रीट
Filaria : शहर व चार प्रखंडों में 10 से 25 फरवरी तक चलेगा फाइलेरिया उन्मूलन अभियान, खिलाई जाएगी दवा

Leave a Reply

You cannot copy content of this page

error: Content is protected !!