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वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए वन कर्मियों को बांटे गए ड्रोन व जीपीएस कैमरे समेत अन्य आधुनिक उपकरण + वीडियो

एचसीएल की सुरदा माइन्स को फॉरेन फॉरेस्ट क्लीयरेंस देने में बना है इंटीग्रेटेड नेशनल प्लान
न्यूज़ बी रिपोर्टर, जमशेदपुर :
पूर्वी सिंहभूम में एचसीएल की सुरदा माइन्स के आसपास के 10 किलोमीटर के क्षेत्र में वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए इंटीग्रेटेड नेशनल प्लान बनाया गया है। इस प्लान के तहत शुक्रवार को मानगो के वन सभागार में वन कर्मियों के बीच कई आधुनिक उपकरण बांटे गए हैं। यह आधुनिक उपकरण वन प्राणियों की सुरक्षा में काफी कारगर साबित होंगे। इन उपकरणों में ड्रोन कैमरे, हैंडहेल्ड कैमरे, हैंडहेल्ड जीपीएस मशीन, समेत कई अन्य उपकरण शामिल हैं। इन उपकरणों को वन कर्मियों को दिया गया है। उपकरण के वितरण के दौरान आरआरसीएफ रवि रंजन के अलावा डीएफओ ममता प्रियदर्शी मौजूद थीं। आरआरसीएफ रवि रंजन ने बताया कि एचसीएल की सुरदा माइन्स को फॉरेस्ट क्लीयरेंस दिया गया है। इसमें एक शर्त थी कि माइंस के आसपास के 10 किलोमीटर के क्षेत्र में वन प्राणियों की सुरक्षा के लिए व्यवस्था की जाएगी। इसी के तहत इंटीग्रेटेड नेशनल प्लान बनाया गया है। प्राणियों की सुरक्षा का जिम्मा जमशेदपुर वन प्रमंडल को दिया गया है। इसके अलावा, क्षेत्र में विकास के काम किए जाएंगे। इसको सुरदा माइन्स करेगा। प्राणियों की सुरक्षा के लिए प्लान के पहले चरण में उपकरण का वितरण हुआ है। वाहन दिए गए हैं। इससे वन कर्मियों को पेट्रोलिंग में मदद मिलेगी। यही नहीं, वॉच टावर बनाया जाएगा। वाच टावर से वन कर्मी वन प्राणियों पर नजर रखेंगे और उनकी सुरक्षा का इंतजाम करेंगे। वन प्राणियों के लिए हैबिटेट बनाया जाएगा। वहां उनके खाने-पीने का इंतजाम रहेगा। ताकि गर्मी में उन्हें प्यार से परेशान ना होना पड़े।

वन कर्मियों को मिला ड्रोन

एक क्विक रिस्पांस टीम बनाई जाएगी। यह क्विक रिस्पांस टीम जरूरत पड़ने पर मौके पर पहुंचकर वन प्राणियों की मदद करेगी। इलाके के ग्रामीणों के लिए भी एक डेवलपमेंट प्लान तैयार किया जा रहा है। डीएफओ ममता प्रियदर्शी ने बताया कि वन विभाग वन प्राणियों की सुरक्षा को लेकर कटिबद्ध है। इसी को लेकर यह उपकरण बांटे गए हैं। रंजन ने बताया कि जिस इलाके के लिए यह प्लान बनाया गया है। उस इलाके में हाथियों की आवाजाही रहती है। हाथियों के चलते लोगों को नुकसान होता है। अब इस प्लान के चलते हाथियों पर विशेष नजर रखी जा सकेगी और हाथियों का क्या रूट है। उनकी क्या गतिविधि है। इससे पहले ही ग्रामीणों को आगाह कर दिया जाएगा। इससे ग्रामीण अलर्ट रहेंगे और उनका कोई नुकसान नहीं हो पाएगा।

रेंजर दिग्विजय सिंह
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