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रिम्स में कोरोना मरीजों के मैली चादर का हो रहा है दोबारा उपयोग

RIMS RANCHI

न्यूज़ बी रिपोर्टर, रांची :

रिम्स में भर्ती मरीजों के बीच तेजी से संक्रमण फैल सकता है और इसके लिए रिम्स प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है।

कोरोना जैसे बीमारी की जंग रहे मरीजों के संक्रमित व गंदे बेडशीट उसी तरह दूसरे मरीजों को दे दी जा रही है। हालांकि इन बेडशीट को धोने का दावा किया जा रहा है लेकिन इसे किसी केमिकल या डिटर्जेंट के बीना ही साफ किया जा रहा है। प्रबंधन की ओर से बेडशीट धोने के लिए कुछ भी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। रिम्स में मरीजों के बेड पर बिछाने वाले चादर, ब्लैंकेट और डाक्टरों के पहनने वाले गाउन की साफ सफाई की जिम्मेवारी आउटसोर्स  मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री सिस्टम की है। लेकिन जिस तरह से सफाई की जा रही है उससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

20 किलो डिटर्जेंट और 30 लीटर हाइपो की पड़ती है जरूरत :

बेडशीट, ब्लैंकेट और डॉक्टरों के गाउन की सफाई में हर दिन 20 किलो डिटर्जेंट और 30 लीटर सोडियम हाइपोक्लोराइट केमिकल की जरूरत पड़ती है। लेकिन रिम्स प्रबंधन के द्वारा पिछले कई दिनों से आपूर्ति नहीं किये जाने के कारण सिर्फ पानी से ही कपड़ों को साफ कर आयरन किया जा रहा है। इसके बाद बेडशीट और ब्लैंकेट को वार्ड में पहुंचा दिया जाता है। लॉन्ड्री में काम करने वाले कर्मचारी नागेश्वर हेंब्रम ने बताया कि प्रबंधन की ओर से कोई व्यवस्था मुहैया नहीं करायी जा रही है। जबकि इसके लिए कई बार कहा जा चुका है।

इधर, प्रबंधन की ओर से पीआरओ डा डीके सिन्हा बताते हैं कि लॉन्ड्री में अगर केमिकल और डिटर्जेंट खत्म हो चुका है तो इसकी सूचना प्रबंधन को दी ही नहीं गई। अगर सूचना मिलती तो प्रबंधन स्टोर से सारी चीजों को उपलब्ध कराती। उन्होंने बताया कि इसकी जांच करवाकर इसमें जो कर्मी हैं उन पर कार्रवाई की जाएगी। कोरोना के समय जिस तरह से सफाई का ध्यान नहीं रखा जा रहा है वो गलत है। सारी चीजों की जानकारी ली जाएगी।

वहीं रिम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीज के परिजनों ने कहा कि अस्पताल के द्वारा बेडशीट उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन इसकी सफाई ठीक ढंग से नहीं होती है। जिस कारण घर से लाये हुए बेडशीट को बिछाकर अपने मरीज को बेड पर लेटाना पड़ता है। वहीं कई परिजनों का आरोप है कि हर रोज बेडशीट नहीं बदला जाता है। जिस कारण संक्रमण का खतरा बना रहता है। खासकर के कोविड काल में यह संक्रमण जानलेवा भी हो सकता है। जिस वजह से भी मरीजों में अब डर दिख रहा है।

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