रिम्स में नेत्रदाता के परिवारों को मंत्री ने किया सम्मानित
न्यूज़ बी रिपोर्टर, रांची :
जल्द ही राज्य में क्षेत्रीय कॉर्निया डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम लागू किया जाएगा। इसे लेकर सरकार तैयारी कर रही है। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बुधवार को रिम्स में आयोजित नेत्र दाताओं के सम्मान समारोह में उन्होंने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि दान किए हुए कॉर्निया का सही इस्तेमाल हो और जरूरतमंदों को कॉर्निया मिल सके इसे लेकर हर संभव कदम उठाया जाएगा। उन्होंने रिम्स आई बैंक की तारीफ करते हुए कहा कि यहां के डॉक्टरों और कर्मचारियों के प्रयास से 1 वर्ष में 64 दिन नेत्र दान किए जा चुके हैं, जिसमें से 20 लोगों का कॉर्निया उपयोग में लाया जा सका है।
उन्होंने बताया कई बार कॉर्निया बर्बाद भी हो जाता है जिसे रोकने के लिए दुरुस्त व्यवस्था की जाएगी ताकि दान किए हुए कॉर्निया का सही उपयोग हो सके और दृष्टिहीन को दृष्टि मिल सके।
सम्मान समारोह में नेत्र दाताओं के परिवारों को सम्मानित किया गया। इसमें 20 लोगों को आमंत्रित किया गया था जिसमें से 10 परिवार के लोग कार्यक्रम में शामिल हुए और अपनी भावनाओं को भी व्यक्त करते हुए डॉक्टरों का धन्यवाद दिया। परिवार के सदस्यों ने बताया कि उनके अपने उनके बीच नहीं होने के बाद भी उनकी आंखों से दूसरे लोग दुनिया देख सकेंगे। मालूम हो कि 36वें नेत्रदान पखवाड़े के अंतर्गत यह सम्मान समारोह आयोजित किया गया था।
कार्यक्रम में रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद, उपाधीक्षक डॉ विवेक कश्यप, डॉ डीके सिन्हा, नेत्र विभागाध्यक्ष डॉ राजीव गुप्ता, डॉक्टर दीपक सहित अन्य डॉक्टर भी मौजूद थे। इस मौके पर डॉक्टर और कई स्वास्थ्य कर्मियों को मंत्री ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया और कहा कि उनके बिना नेत्रदान जैसे कार्यक्रम को पूरा कर पाना संभव नहीं हो पाता।
नेत्रदान को लेकर लोगों में आ रही है जागरूकता :
मृत्युपरांत नेत्रदान कर दूसरे को जीवन देने को लेकर परिवारों में जागररूकता आ रही है। खासकर के कोरोना काल में भी नेत्रदान जैसे पवित्र काम हुए हैं। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में भी नेत्रदान को लेकर जागरूकता बढ़ी है। रिम्स में कोरोना काल से अब तक 20 लोगों ने नेत्रदान किया है। अभी तक राजधानी में कुल 705 नेत्रदान हो चुका है। इसमें निजी अस्पतालों से 659 नेत्रदान हो चुके हैं, जबकि रिम्स में अभी तक 46 नेत्रदान ही हुए हैं।
रिम्स नेत्र विभाग के एचओडी डा राजीव गुप्ता ने बताया कि नेत्रदान करने को लेकर प्रोत्साहित करना जरूरी है। लोगों को यह बताना जरूरी है कि मृत्यु के बाद नेत्रदान से बड़ा दान कुछ नही होता है। लोग जागरूक भी हो रहे हैं, हालांकि निजी अस्पतालों की तुलना में नेत्रदान कम हुए हैं, जिसकी मुख्य वजह लोगों में जानकारी का अभाव है जिसे दूर किया जा रहा है। लेकिन पिछले रिकार्ड को देखे तो इस वर्ष नेत्रदाताओं की संख्या में 40 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है।
परिवार के सदस्यों ने कहा नेत्रदान ही है महादान :
1 पिता की मृत्यु के बाद जब घर में मातम छाया हुआ था, तो इस बीच उनके पुत्र सदानंद ने रिम्स में कॉल कर अपने पिता का नेत्रदान करवाने की इच्छा जतायी। इसके बाद टीम तीन घंटे के अंदर कार्निया लेकर अस्पताल पहुंच गई। सदानंद बताते हैं कि जिस समय इस तरह की घटना होती है उस समय कुछ भी निर्णय लेना कठिन होता है। लेकिन वे उस वक्त चंडीगढ़ में थे, जिस कारण उन्हें उनके पिता की अंतिम बातें याद आ रही थी, जिसमें उन्होंने नेत्रदान करवाने की इच्छा जाहिर की थी। इस कारण सदानंद ने वहीं से रिम्स में फोन कर इसकी जानकारी दी।
2 लोहरदगा निवासी रश्मि अपने ससुर का इलाज रिम्स में ही करवा रही थी। काफी प्रयास के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। इसके बाद डाक्टरों ने नेत्रदान करवा देने की बात कही। जिसे लेकर रश्मि बताती है कि पहले तो उसे यह अटपटा लगा, लेकिन जब इसके बारे में सारी जानकारी दी गई तो इससे बेहतर काम नहीं दिखा और उन्होंने नेत्रदान करवा दिया।