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यूक्रेन बनने जा रहा युद्ध का अखाड़ा, सेनाएं अलर्ट

यूक्रेन में नाटो के विस्तार की नीति को लेकर अमेरिका रूस में ठनी
न्यूज़ भी रिपोर्टर :
यूक्रेन में नाटो के विस्तार की योजना तैयार होने के बाद रूस और अमेरिका के बीच ठन गई है। अमेरिका रूस को घेरने के लिए लगातार कोशिश में है और नाटो की सेनाएं रूस की सीमा तक पहुंच गई हैं। रूस के सीमावर्ती कई यूरोपीय देशों में नाटो ने अपने सैनिकों को तैनात किया है। अब यूक्रेन में नाटो के सैनिकों की उपस्थिति बढ़ाई जा रही है। साथ ही अमेरिका ने यूक्रेन को कई अत्याधुनिक हथियार भी दिए हैं। जानकारों का मानना है कि अमेरिका रूस को घेरने की पूरी कोशिश कर रहा है। ताकि, उसे डरा कर विश्व मंच पर बैकफुट पर लाया जा सके। विशेषज्ञ कहते हैं कि अमेरिका की नीति आत्मघाती साबित हो सकती है। क्योंकि रूस भी ताकतवर हो चुका है और अपनी रक्षा के लिए कमर कस रहा है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहले भी युद्ध की स्थिति टालने की कोशिश की थी। 1990 में अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ रूस की हुई एक अहम बैठक में तय हुआ था की रूस के सीमावर्ती इलाकों में नाटो का विस्तार नहीं किया जाएगा। अब रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावारोव कह रहे हैं कि अमरीका और यूरोप अपने वादे से मुकर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि अमेरिका और यूरोप के देश विश्व को युद्ध की आग में झोंकने को आमादा हैं। गौरतलब है कि विश्व के कई मुद्दों पर अमेरिका और यूरोप के देशों को अंदर बीच मुंह की खानी पड़ी है। फिलिस्तीन और इजरायल के बीच इधर जितने भी युद्ध हुए हैं, उसमें इसराइल को पराजय झेलनी पड़ी है। ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी कि इराक में बैठक के लिए बुलाकर धोखे से हत्या करने वाले अमेरिका को अफगानिस्तान मैं पराजय का स्वाद झूलना हजम नहीं हो पा रहा है। इस हत्या के बाद हीरान और तालिबान रणनीतिक रूप से करीब आए और तालिबान ने विश्व को अचंभित करते हुए ईरानी मिसाइल से सीआईए के उस हेलीकॉप्टर को मार गिराया जिसमें कासिम सुलेमानी के हत्यारे बैठे हुए थे। तभी विश्व के रणनीतिकार ईरान और तालिबान के बीच करीबियों टटोल रहे थे। लेकिन जब तालिबानियों ने अमरीका को अपने मुल्क से खदेड़ दिया तो दोनों देशों के बीच के संबंध उजागर हो गए। अमेरिका नाटो की सेनाओं को अफगानिस्तान में भेज कर तालिबान को युद्ध में उलझा ना चाहता था। लेकिन तभी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ईरान की अफगानिस्तान में विदेशी हस्तक्षेप के विरुद्ध आई चेतावनी के बाद अमेरिका को बैकफुट पर आना पड़ा था।
अफगानिस्तान से अमरीकी सैनिकों की वापसी और अमेरिका के मित्र देशों का वहां से बोरिया बिस्तर लपेट कर भागना भी इस साल की अहम घटना थी। विश्व मंच पर रूस के बढ़ते दबदबे से परेशान अमेरिका अब सम्मान बचाने के लिए रूस और यूक्रेन को उलझाना चाहता है। इसीलिए, वह वहां लगातार उकसावे की कार्रवाई कर रहा है। हालांकि उसका प्रचार तंत्र यह दिखा रहा है कि रूस यूक्रेन पर हमला करना चाहता है। जबकि, रूसी राजनयिकों ने कई बार स्पष्ट कहा है कि रूस यूक्रेन पर हमला करने का कोई इरादा नहीं रखता। लेकिन यूक्रेन में जिस तरह नाटो की सेनाओं की उपस्थिति बढ़ रही है। उससे रूस अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है। इसीलिए रूस ने अपने 100000 सैनिकों को यूक्रेन की सीमा पर तैनात कर दिया है और यूक्रेन की तरफ से होने वाले किसी भी हमले का मुकाबला करने के लिए उसकी सेना अलर्ट है। विश्व कूटनीति के माहिर राजेश मुदलियार कहते हैं कि अमेरिका अपना सम्मान बचाने के लिए कुछ भी कर सकता है। चाहे दुनिया जंग की आग में झुलस ही क्यों न जाए।

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