चकबंदी न्यायालय के फैसले पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, सपा कार्यालय को लेकर चकबंदी अधिकारी ने दिया था आदेश
इमरान हैदर रिजवी, कौशांबी : सपा नेता शबी हैदर रिजवी उर्फ मीनू की हाई कोर्ट में जीत हुई है। हाईकोर्ट ने चकबंदी अधिकारी के आदेश पर रोक लगा दी है। चकबंदी अधिकारी ने मंझनपुर में समाजवादी पार्टी के कार्यालय और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शबी हैदर उर्फ मीनू के पिता रजा हैदर की जमीन के मामले में आदेश जारी किया था। इस आदेश के खिलाफ सपा नेता शबी हैदर उर्फ मीनू हाईकोर्ट गए थे। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए चकबंदी अधिकारी के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई है। हाईकोर्ट में सपा नेता की इस जीत से जिले की सियासत में उनका कद और बढ़ गया है।
साल 2005 में सपा कार्यालय को दी थी जमीन
साल 2005 में सपा नेता शबी हैदर रिजवी उर्फ मीनू ने समाजवादी पार्टी को कार्यालय बनाने के लिए जमीन दी थी। इसी जमीन के खिलाफ चकबंदी अधिकारी ने आदेश जारी किया था और पुराने आदेश को रद्द करते हुए जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया था।
विपक्षियों के मंसूबे हुए फेल
विपक्षी समाजवादी पार्टी कार्यालय को गिराने की योजना बना रहे थे। इसी को लेकर चकबंदी न्यायालय में केस खुलवाया गया था। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश से विपक्षियों के मंसूबे फेल हो गए हैं। हाई कोर्ट का आदेश आते ही मंझनपुर समेत जिले भर के लोगों में खुशी का माहौल है। पीड़ित पक्ष की तरफ से हाईकोर्ट में अपील में कहा गया था की चकबंदी अधिकारी ने 1 जनवरी 1993 के आदेश को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की, जो पहले ही अंतिम रूप ले चुका था। आदेश में कहा गया है कि चकबंदी अधिकारी ने इस साल 9 जुलाई को अपने 1 जनवरी 1993 के आदेश के विरुद्ध फैसला करते हुए जोश में नाम हटाया था। चकबंदी न्यायालय उस मामले को फिर से खोलने की कोशिश कर रहा है जो निकासी संपत्ति पर शासन अधिनियम 1950 की धारा 7 के तहत पहले ही तय किया जा चुका है।
परेशान करने के लिए खोला गया था पुराना मुकदमा
कई साल पहले इस केस में फैसला हो चुका है। इसे अब चकबंदी अधिकारी दोबारा चलाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि इस मामले में उनके पास अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने इस मामले को सुना और चकबंदी अधिकारी के आदेश को गलत पाते हुए इस पर फिलहाल रोक लगा दी है।
हर बार कोर्ट में मुंह की खाते हैं विपक्षी
सपा नेता के वरिष्ठ नेता शबी हैदर रिजवी के खिलाफ जब भी साजिश रची जाती है, तो विपक्षी हर बार मुंह की खाते हैं। हाई कोर्ट से उन्हें न्याय मिलता है। नगर पंचायत अध्यक्षी के मामले में भी हाईकोर्ट से सपा नेता को राहत मिली थी।