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ईद की तैयारी में जुटे रोजेदार कपड़ों की खरीद-फरोख्त के लिए बाजार में उमड़ी भीड़

न्यूज़ बी रिपोर्टर, जमशेदपुर : ईद का त्यौहार हफ्ते भर बाद मनाया जाएगा। ईद को लेकर तैयारी का दौर शुरू हो चुका है। रोजेदार अपने लिए नए कपड़े, फुटवियर, गहने, नकाब आदि की खरीदारी में मशगूल हो गए हैं। जुगसलाई, साकची, बिष्टुपुर, मानगो आदि मुस्लिम बाहुल्य इलाकों की बाजारों में रोजा इफ्तार के बाद ग्राहकों की भीड़ उमड़ रही है। मानगो, धतकीडीह और साकची में मस्जिदों के आसपास ईद का बाजार सज रहा है। ओल्ड पुरुलिया रोड और मानगो के 2 नंबर रोड पर ईद का बाजार सजना शुरू हो गया है। सजावट की चीजें भी बेची जा रही हैं। इसके अलावा सेवईं और लच्छे भी बिकने शुरू हो गए हैं। सेवईं और लच्छे 120 रुपए प्रति किलो से लेकर 250 रुपए प्रति किलो तक बेचे जा रहे हैं। देसी घी से बने लच्छे सबसे महंगे बिक रहे हैं। इसके अलावा मानगो और जुगसलाई में स्थानीय लोगों ने लच्छे बनाने का काम भी शुरू कर दिया है। जमशेदपुर में बने लच्छे जमशेदपुर की बाजार में खपने के अलावा राउरकेला समेत आसपास के शहरों की बाजारों में भी बेचे जाते हैं। इसके अलावा, यहां हल्दीराम का लच्छा और कोलकाता, इलाहाबाद, गया आदि शहरों से आई सेवईं भी बिकती हैं।
सहरी में दूध लच्छे का जायका लेते हैं रोजेदार
रोजेदार सुबह लगभग 3:00 बजे सहरी करते हैं। सहरी नमाज के पहले खत्म कर ली जाती है। सहरी में रोजेदार दूध लच्छे और सेवईं के अलावा खजूर और फल भी खाते हैं। सहर का मतलब होता है सुबह। इसीलिए सुबह खाए जाने वाले इस नाश्ते को सहरी कहा जाता है। सुबह की अजान से पहले सहरी कर लेना है। इसके बाद अगर किसी ने कुछ खाया तो उसका रोजा खत्म हो जाता है।
इफ्तार में खाए जा रहे फल, तरबूज है सबकी पसंद
दिन भर रोजा रखने के बाद शाम को मगरिब की अजान के समय रोजेदार रोजा खोलते हैं। इफ्तार के समय हलवा, पकौड़ी, ब्रेड पकौड़ा, तला चना, शरबत, तरबूज, अंगूर, पपीता, अमरूद आदि खाए जाते हैं। रोजेदार सबसे पहले खजूर से रोजा खोलता है। खजूर से रोजा खोलने का काफी सवाब है।

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