तोपचांची में जैप कैंप में 15 पुलिसकर्मियों की हत्या कर हथियार लूटने में शामिल थी किशन की पत्नी शीला
– 1980 में माओवादियों से जुड़ी थी प्रशांत बोस की पत्नी शीला मरांडी
– वर्ष 2006 में राउरकेला में हुई थी गिरफ्तार, वर्ष 2016 में जमानत पर बाहर आकर फिर पार्टी में शामिल हुई
न्यूज़ बी रिपोर्टर, रांची : माओवादी पोलित ब्यूरो कमेटी के सदस्य व एक करोड़ के इनामी नक्सली प्रशांत बोस उर्फ किशन दा के साथ गिरफ्तार उनकी पत्नी शीला मरांडी भी कुख्यात नक्सली है। उसने वर्ष 2001 में धनबाद जिले के तोपचांची थाना क्षेत्र स्थित जैप कैंप पर अपने सहयोगियों के साथ हमला कर पूरे कैंप को ध्वस्त कर दिया था और हथियार तथा गोला-बारूद लूट लिया था। इस हमले में 15 पुलिस पदाधिकारी व जवान शहीद हो गए थे। वर्ष 2006 में शीला मरांडी गिरफ्तार हुई थी। साल 2016 में जमानत पर जेल से छूटने के बाद वह पार्टी में शामिल हो गई। दक्षिणी छोटानागपुर जोन के अंतर्गत सारंडा में रहकर उसने संगठन को शीर्ष नारी नेता एवं दस्ते के सदस्यों के साथ मिलकर संगठन को मजबूत किया और कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया। वर्ष 2018 में सारंडा के जंगल में ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो की मीटिंग में पार्टी में इनके कार्य एवं सक्रियता को देखते हुए केंद्रीय कमेटी सदस्य बनाया गया। हालांकि, शीला मरांडी पर वर्तमान में कोई इनाम नहीं था।
नक्सली शीला मरांडी वर्ष 1980 में गांव के मुखिया रमन मुर्मू जो एमसीसीआइ पार्टी के कार्यकर्ता थे एवं महिला शोषण के विरुद्ध गांव-गांव में प्रचार कर रहे थे, उनसे प्रभावित होकर नक्सलियों से जुड़ गई थी। वह नक्सलियों के संगठन नारी मुक्ति संघ में शामिल हो गई थी। एक-दो साल के बाद पार्टी के मुख्य संगठन एमसीसीआइ के प्रशांत बोस की टीम में शामिल हो गई और नारी वर्ग को पार्टी में जोड़ते हुए संगठन को मजबूत कर कई नक्सली घटनाओं में शामिल रही।
माओवादियों के विचारधारा को पहुंची बहुत बड़ी क्षति
डीजीपी नीरज सिन्हा ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि माओवादी किशन दा व उसकी पत्नी शीला मरांडी की गिरफ्तारी झारखंड पुलिस व केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के लिए बड़ी उपलब्धि है। इनकी गिरफ्तारी से भाकपा माओवादी संगठन को बहुत बड़ा क्षति पहुंचा है। सभी गिरफ्तार छह आरोपितों में प्रशांत बोस व शीला मरांडी पूरे देश में भाकपा माओवादियों के शीर्षस्थ नेताओं में से एक हैं। भाकपा माओवादियों की विचारधारा एवं संगठन के लिए इनकी गिरफ्तारी एक बहुत बड़ी क्षति है। झारखंड पुलिस, सीआरपीएफ व अन्य केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों तथा नक्सल उन्मूलन अभियान में कार्य कर रहे सभी एजेंसी के लिए यह अब तक की सबसे बड़ी सफलता है। डीजीपी ने कहा कि जिन्होंने बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया, उनका सरगना पुलिस के कब्जे में है, यह अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है।