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गृह मंत्री भी नहीं बांका कर पाए कैराना का बाल

विश्व पटल पर विजेता बनकर उभरा नाहिद का परिवार
गृह मंत्री व मुख्यमंत्री की चाणक्य नीति भी हुई धराशाई

न्यूज़ बी रिपोर्टर, यूपी : हाल ही में हुए पांच राज्यों के चुनाव में उत्तर प्रदेश की कैराना विधानसभा सीट ऐसी रही जिस पर दुनिया भर के सियासतदान और विशेषज्ञ टकटकी लगाए हुए थे। यह सीट विश्व पटल पर सबसे हॉट सीट बनकर इसलिए उभरी थी, क्योंकि गृह मंत्री और मुख्यमंत्री की पूरी प्रशासनिक मशीनरी विधायक नाहिद हसन को हराने में जुटी हुई थी। मगर नाहिद ने इसके बावजूद भाजपा को पटखनी देकर अपनी जीत का झंडा बुलंद किया।
नामांकन भरते ही नाहिद हसन को जेल भेजा गया था ताकि उन्हें आसानी से हराया जा सके। लेकिन, विधायक की बहन इकरा हसन ने मोर्चा संभाला और गृह मंत्री व मुख्यमंत्री ने सियासी बिसात पर जितनी भी चालें चलीं सबको मात देकर जीत का सेहरा अपने भाई के सर बांध दिया। यहां भाजपा की साम, दाम, दंड और भेद की नीति नहीं चल सकी। राजनीतिक विशेषज्ञों ने पहले ही कह दिया था कि अगर कैराना की सीट पर अगर भाजपा हारती है तो नाहिद हसन और उनका परिवार उत्तर प्रदेश ही नहीं विश्व पटल पर सितारा बन कर उभरेंगे।
कैराना विधानसभा की सीट उत्तर प्रदेश के शामली जिले में है। यहां पहले चरण में 10 फरवरी को मतदान हुआ था। 10 मार्च को जब वोटों की गिनती शुरू हुई, तब पता चला कि नाहिद हसन के किले को भेद पाना भाजपा के बूते की बात नहीं है। नाहिद हसन ने भाजपा को 25 हजार 887 वोटों से हराया। नाहिद को एक लाख 31 हजार से अधिक वोट मिले। जबकि, मृगांका को एक लाख चार हजार 705 वोट मिले हैं।
यह वही कैराना है, जहां से इस बार भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह ने विधानसभा चुनाव प्रचार का श्रीगणेश किया था। यही नहीं उन्होंने घर-घर जाकर भाजपा उम्मीदवार मृगांका सिंह के पक्ष में पर्चा तक बांटा था। लोगों से भाजपा के कमल पर बटन दबाने की बात कही थी। दूसरी तरफ, इस राजनीतिक जंग में केंद्र और राज्य सरकार के पूरे अमले के सामने नाहिद हसन का परिवार अकेला खड़ा था। नाहिद हसन जेल में थे और ऐसे में उनकी बहन इकरा हसन ही मोर्चा संभाले हुए थीं। गृह मंत्री अमित शाह यह सोच रहे थे कि वह यहां पलायन का मुद्दा उठाकर भाजपा की नैया पार लगा देंगे। लेकिन, ऐसा नहीं हो पाया। यह मुद्दा भाजपा के खिलाफ ही गया। नाहिद हसन की बहन इकरा लोगों को यह समझाने में कामयाब रहीं कि अगर कैराना में पलायन हो रहा है या रंगदारी के लिए हत्याएं हो रही हैं तो उसके लिए विधायक नाहिद हसन नहीं बल्कि भाजपा ही जिम्मेदार है। क्योंकि अभी भाजपा ही सरकार चला रही है। दूसरी चीज यह रही कि नाहिद हसन के परिवार ने जनता के साथ कभी भेदभाव नहीं किया। सब का सम्मान किया। यही वजह है कि मुसलमानों ही नहीं बड़ी संख्या में हिंदू वोटरों ने भी नाहिद हसन के पक्ष में वोट डाले। कैराना के एक राजनीतिज्ञ अशरफ अली कहते हैं कि भाजपाई चुनाव के वक्त प्रोपगंडा करते हैं। कैराना में यही उनकी हार का कारण बन गया। कुल मिलाकर कैराना में भाजपा के चाणक्य की हवा निकल गई। कैराना की एक-एक बूथ पर नाहिद हसन के कार्यकर्ताओं ने ऐसा चक्रव्यूह रचा था जिसे भाजपा एड़ी चोटी का जोर लगाने के बावजूद नहीं भेद पाई। वोटिंग के बाद अमूमन कार्यकर्ता घर चले जाते हैं, लेकिन नाहिद हसन के कार्यकर्ता बोल पोलिंग अधिकारियों के साथ तब तक बने रहे जब तक ईवीएम मशीनें स्ट्रांग रूम में जमा नहीं हो गईं। स्ट्रांग रूम में ईवीएम मशीनें जमा होने के बाद नाहिद के कार्यकर्ता स्ट्रांग रूम के बाहर ईवीएम की रखवाली में डटे रहे। यही नहीं हर साल जब भी वोटर लिस्ट तैयार करने की प्रक्रिया चलती है तो नाहिद हसन के कार्यकर्ता हर बूथ पर रहकर पूरी प्रक्रिया की निगरानी करते हैं।

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