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कौशांबी : जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी रहेगी या जाएगी, 24 को फैसला

जिला पंचायत में 24 अगस्त को दस्तावेज में जिला पंचायत सदस्यों के हस्ताक्षर की होगी जांच, इसके बाद शुरू होगी अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया
इमरान हैदर रिजवी, कौशांबी :
कौशांबी के जिला पंचायत अध्यक्ष कल्पना सोनकर की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है। उनकी कुर्सी रहेगी या जाएगी इसका फैसला 24 अगस्त को होगा। कल्पना सोनकर के खिलाफ 26 में से 19 जिला पंचायत सदस्यों ने मोर्चा खोला है। यह सदस्य डीएम सुजीत कुमार के पास जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव जमा करा चुके हैं। इस अविश्वास प्रस्ताव पर 19 जिला पंचायत सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। जिला परिषद के अपर मुख्य अधिकारी और अन्य अधिकारियों की टीम 24 को तय करेगी कि अविश्वास प्रस्ताव पर हुए सदस्यों के हस्ताक्षर असली हैं या फर्जी। अगर यह हस्ताक्षर असली हैं तो इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
तो चली जाएगी जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी
जिला पंचायत अध्यक्ष कल्पना सोनकर के पक्ष में सिर्फ 7 जिला पंचायत सदस्य होने की बात कही जा रही है। जानकारों का कहना है कि अगर अविश्वास प्रस्ताव के दस्तावेज पर साइन करने वाले जिला पंचायत सदस्य अपनी बात पर अडिग रहते हैं और उन्हें कल्पना सोनकर नहीं डिगा पाई होंगी तो जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और ऐसे में उनकी कुर्सी जाना तय है। जिला पंचायत सदस्यों ने 16 अगस्त को डीएम के पास अविश्वास प्रस्ताव के दस्तावेज जमा कराए थे। इस तरह जिला पंचायत अध्यक्ष कल्पना सोनकर के पास माहौल अपने पक्ष में करने के लिए 8 दिन का समय है। सूत्र बताते हैं कि कल्पना सोनकर ने इस दौरान एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। यह आज पता चलेगा कि वह कितना कामयाब हो पाई हैं।
पिछले साल हुआ था शपथ ग्रहण समारोह
जिला पंचायत अध्यक्ष कल्पना सोनकर का शपथ ग्रहण समारोह पिछले साल फरवरी में हुआ था। इस तरह उनका कार्यकाल अभी एक साल का ही हुआ है। माना जा रहा है कि कल्पना सोनकर मंजी हुई राजनीतिज्ञ नहीं साबित हो पाई हैं। उनके काम में उनके पति जितेंद्र सोनकर की ज्यादा दखलअंदाजी है। इसी के चलते कल्पना सोनकर की जिला पंचायत सदस्यों पर पकड़ कमजोर हुई है।
टेंडर और कमीशन की है लड़ाई
कहा जा रहा है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का जो मामला सामने आया है। वह असल में टेंडर का खेल है। जिला पंचायत अध्यक्ष जो भी विकास कार्य करवा रही हैं। उसमें उनके अपने चहेते ठेकेदार होते हैं। इसके चलते, जिला पंचायत सदस्यों को कमीशन नहीं मिल रहा है। यही नहीं जिला पंचायत अध्यक्ष की मित्र मंडली में जो 9-10 जिला पंचायत सदस्य हैं, उन्हीं के इलाके में काम होता है। सूत्रों की माने तो एक जिला पंचायत सदस्य ने जिला पंचायत अध्यक्ष कल्पना सोनकर से एक ठेकेदार को टेंडर देने की सिफारिश की थी। कल्पना सोनकर के मना करने के बाद उन्होंने भी विरोध का झंडा बुलंद कर दिया। इस तरह टेंडर व कमीशन न मिलने की वजह से जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ सदस्यों की नाराजगी बढ़ी है।

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