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उग्रवादी वीरेंद्र मुंडा की आत्महत्या के मामले में शक के घेरे में जेलर

उग्रवादी वीरेंद्र मुंडा की आत्महत्या के मामले में शक के घेरे में जेलर
जेल आईजी के आदेश पर शुरू हुई जांच, खंगाले जा रहे सीसीटीवी फुटेज
न्यूज़ बी रिपोर्टर, रांची :
मुख्यार गिरोह के उग्रवादी लापुंग निवासी वीरेंद्र मुंडा की कथित आत्महत्या के मामले में जेलर शक के दायरे में आ गए हैं। वीरेंद्र मुंडा के हाथ पर जेलर द्वारा उसकी हत्या करने की इबारत लिखे होने का मामला सामने आने के बाद जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया है। इस घटना ने जेल की पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जेल आईजी ने पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। इसके बाद जेल अधीक्षक हामिद अख्तर ने जांच के लिए एक कमेटी बना दी है। जेल अधीक्षक ने कमेटी के साथ खुद सोमवार को जेल के उस सेल में जाकर परिस्थिति का जायजा लिया। सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। जिस सेल में वीरेंद्र मुंडा था, वहां सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं। लेकिन, उस सेल में जाने वाले कोरिडोर में सीसीटीवी लगा हुआ है। सीसीटीवी फुटेज से पता चला है कि शनिवार को उस सेल की तरफ कोई दूसरा अधिकारी या सिपाही नहीं गया। सेल में तैनात दो सिपाही ही उधर नजर आए हैं। जेलर की गतिविधि का भी सीसीटीवी फुटेज निकाला गया है। जब घटना घटी है तो जेलर जेल में अपने दफ्तर और अन्य वार्ड की तरफ दिखाई दिए हैं। जेल अधीक्षक की अध्यक्षता में कमेटी इस बात को लेकर जांच कर रही है कि वीरेंद्र मुंडा के पैर पर लिखी इबारत खुद उसी ने लिखी थी। या किसी ने जेलर को फंसाने के लिए मृत उग्रवादी के पैर पर वह जुमले लिख दिए हैं। जेल अधीक्षक का कहना है कि जो इबारत लिखी गई है। उससे तमाम तरह के सवाल पैदा हो रहे हैं। इसे हल करने की कवायद शुरू है। इसके लिए परिस्थितिजन्य हालात का भी जायजा लिया जा रहा है। देखा जा रहा है कि किन परिस्थितियों में यह बात लिखी गई है। माना जा रहा है कि अगर वीरेंद्र मुंडा ने यह बात लिखी है तो तब तक वह जिंदा था। यह भी हो सकता है कि किसी ने उसके साथ मारपीट की हो और उसने मरने से पहले यह वाक्य अपने पैर पर लिख दिया हो। कमेटी इस बात को लेकर भी जांच कर रही है कि किसी ने वीरेंद्र मुंडा की हत्या की और फंसाने के लिए जेलर का नाम लिख दिया। यही नहीं जेल के सिस्टम में मौजूद वीरेंद्र मुंडा की तस्वीर भी जेल से बाहर वायरल कर दी गई है। जेल के अधिकारी कंप्यूटर की जांच में जुट गए हैं कि आखिर किस ने कंप्यूटर खोला और वीरेंद्र मुंडा तस्वीर को लेकर मेल या व्हाट्सएप के जरिए जेल से बाहर किसी व्यक्ति को भेजा जेल। अधीक्षक हामिद अख्तर का कहना है कि तस्वीर भेजे जाने से पूरा मामला संदिग्ध हो गया है। जिसने भी तस्वीर बाहर भेजी है। वह आरोपों के घेरे में है। बस उसे चिन्हित किया जाना बाकी है।
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वीरेंद्रनाग की हत्या के मामले में आत्मसमर्पण किया था उग्रवादी ने
उग्रवादी गिरोह ने वीरेंद्र नाग से रंगदारी की मांग की थी। रंगदारी नहीं देने पर उसकी हत्या कर दी गई थी। इस मामले में वीरेंद्र मुंडा भी आरोपी था। पुलिस ने 15 लोगों को जेल भेजा था। इनमें से 5 लोग अभी भी जेल में हैं। बाकी की जमानत हो चुकी है। वीरेंद्र मुंडा ने इस मामले में कोर्ट के सामने जुलाई में सरेंडर किया था। तभी से वह जेल में था। वीरेंद्र मुंडा के भाई पूनम मुंडा ने बताया कि वीरेंद्र मुंडा के खिलाफ जब हत्या के इस मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई थी तो उसका नाम सामने आने के बाद वीरेंद्र मुंडा बिहार चला गया था। वहां वह ईंट भट्टे में काम कर रहा था। कमाने के बाद गांव लौटा और उसने कोर्ट में सरेंडर किया था।
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वीरेंद्र मुंडा का शव लेने पहुंचे भाई
पोस्टमार्टम के बाद वीरेंद्र मुंडा का शव रिम्स की मर्चरी में रख दिया गया था। सोमवार की सुबह 10:00 बजे वीरेंद्र मुंडा के दो भाई पोना मुंडा और देव मंगल मुंडा बस्ती के अन्य लोगों के साथ शव लेने के लिए रिम्स पहुंचे। यहां लिखा पढ़ी कर परिजनों को शव देने की प्रक्रिया पूरी की गई। इसके बाद शव लेकर परिजन गांव पहुंचे और अंतिम संस्कार किया गया।
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तीन भाइयों में सबसे छोटा था वीरेंद्र मुंडा
वीरेंद्र मुंडा तीन भाइयों में सबसे छोटा था। उसके बड़े भाई पूनम मुंडा का कहना है कि वीरेंद्र मुंडा खेती बारी कर अपनी रोजी-रोटी चलाता था। उसके पास 4 एकड़ खेत हैं। वीरेंद्र मुंडा की मौत के बाद उसकी पत्नी सुमन का रो कर बुरा हाल है। वीरेंद्र मुंडा का एक साल का एक बेटा ऋषभ है। पोना मुंडा का कहना है कि अब सुमन के सामने घर चलाने की दिक्कत होगी। वीरेंद्र मुंडा का दूसरा भाई देव मंगल मुंडा सीधे आरोप लगाता है कि उसका भाई वीरेंद्र मुंडा हत्या की घटना में शामिल नहीं था। 15-17 लोगों ने मिलकर वीरेंद्र नाग की हत्या की थी। लेकिन किसी ने वीरेंद्र मुंडा को फंसा दिया था। ‌
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भाई हट्टा-कट्टा था आत्महत्या नहीं कर सकता
पोना मुंडा ने बताया कि उसका भाई 30 साल का हट्टा कट्टा जवान था। वह आत्महत्या नहीं कर सकता। जब उसने सरेंडर किया था तो उसे किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं थी। वीरेंद्र मुंडा की तीन बहने हैं। छोटी बहन पूनम महीने में एक बार वीरेंद्र मुंडा से मिलने आती थी। पूनम 10 दिन पहले ही होटवार जेल जाकर वीरेंद्र मुंडा से मिली थी। तब वीरेंद्र मुंडा ठीक-ठाक था। उसने किसी भी तरह की बीमारी के बारे में पूनम को नहीं बताया था। जबकि जेल प्रशासन का कहना है कि वीरेंद्र मुंडा डिप्रेशन का शिकार था और उसका इलाज अस्पताल जेल अस्पताल में चल रहा था। मृतक का भाई पुणे मुंडा यह भी सवाल उठा रहा है कि छोटे से दरवाजे में कैसे उसका भाई आत्महत्या कर सकता है जबकि वह उसकी कद काठी लंबी थी जानकार भी बताते हैं कि जब कोई व्यक्ति फांसी लगाता है तो फंदा कसने पर वह जान बचाने की कोशिश में छटपटाता है। ऐसे में अगर नीचे जमीन है तो उस जमीन पर खड़ा हो जाएगा और खुद को बचा लेगा। अब यह जांच का विषय है कि वीरेंद्र मुंडा ने किस दरवाजे से लटककर फांसी लगाई। उसकी लंबाई कितनी है। वीरेंद्र मुंडा की लंबाई कितनी है। जेल में उसे गमछा कहां से मिला।
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घटना की जांच कर मिले इंसाफ
पोना मुंडा का कहना है कि पुलिस पूरे मामले की जांच करे। जांच करने के बाद परिवार को इंसाफ दे। उनका कहना है कि वीरेंद्र मुंडा की हत्या की गई है। वह आत्महत्या नहीं कर सकता। जेल में क्या हुआ था। यह बात सबके सामने आनी चाहिए।
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घटना के 19 घंटे बाद रविवार की शाम 5:00 बजे परिजनों को दी गई सूचना
वीरेंद्र मुंडा ने अपने सेल में शनिवार की रात लगभग 10:00 बजे कथित तौर पर फांसी लगाई थी। लेकिन परिजनों को इसकी सूचना रविवार की शाम 5:00 बजे घटना के 19 घंटे बाद मिल पाई। वीरेंद्र मुंडा के भाई देव मंगल मुंडा ने बताया कि रविवार की शाम 5:00 बजे लापुंग थाने के दरोगा एक चिट्ठी लेकर पहुंचे। इसमें लिखा था कि उसके भाई ने जेल में आत्महत्या कर ली है। सवाल उठता है कि जब शनिवार की रात वीरेंद्र मुंडा ने कथित तौर पर आत्महत्या की थी तो इसकी सूचना रविवार को सुबह तक ही लापुंग के राईटोली स्थित वीरेंद्र के परिजनों को क्यों नहीं दी गई। परिजनों को घटना की जानकारी देने में देर कैसे हुई। यह भी जांच का विषय है।
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परिजनों को शव दिखाए बिना करा दिया पोस्टमार्टम
जेल में कथित तौर पर उग्रवादी वीरेंद्र मुंडा की आत्महत्या के बाद खेल गांव थाना पुलिस ने भी परिजनों को इसकी सूचना देने की जहमत नहीं उठाई। बिना परिजनों के आए ही उनकी अनुपस्थिति में शव का पोस्टमार्टम करा दिया गया। परिजनों को इस बात पर भी आपत्ति है कि उन्हें शव दिखाना चाहिए था। शव नहीं दिखाना और परिजनों की अनुपस्थिति में पोस्टमार्टम करा देने से भी खेलगांव पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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पोस्टमार्टम हाउस से भी तस्वीर लीक होने पर होगी जांच
उग्रवादी वीरेंद्र मुंडा के हाथ पर लिखी हुई इबारत की तस्वीर पोस्टमार्टम हाउस से लीक की गई है या फिर पोस्टमार्टम हाउस से इस बात की भी जांच की जा रही है। जेल अधीक्षक हामिद अख्तर इस मामले में रिम्स के निदेशक को पत्र लिखेंगे और इस बात की जांच के लिए कहेंगे कि अगर यह तस्वीरें पोस्टमार्टम हाउस से लीक हुई हैं तो किसने और किस उद्देश्य से लीक की हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह तस्वीर जेल के अंदर से भी खींच कर बाहर भेजी जा सकती हैं अगर जेल के अंदर से यह तस्वीर खींचकर बाहर भेजी गई है, तो जरूर यह कोई सोची समझी साजिश का ही नतीजा है। क्योंकि, जेल के अंदर से वीरेंद्र मुंडा की भी फाइल फोटो कंप्यूटर से निकाल कर बाहर भेजी गई है। अब यह जांच के बाद ही पता चलेगा की तस्वीर पोस्टमार्टम हाउस से खींच कर बाहर भेजी गई है या जेल से।

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