न्यूज़ बी रिपोर्टर, रांची : काशीडीह के लाइन नंबर 5 मकान नंबर 155 के रहने वाले धर्मेंद्र सिंह की हत्या सिदगोड़ा के वर्कर्स फ्लैट नंबर 169 में सर पर बैट मारकर की थी। पुलिस ने शुक्रवार को धर्मेंद्र सिंह का शव एमजीएम की मर्चरी से निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस हत्या का कारण जानने के लिए हत्यारोपी विश्वजीत प्रधान से साकची थाने में पूछताछ कर रही है। एसएसपी डॉ एम तमिल वणन ने भी विश्वजीत प्रधान से पूछताछ की। एसएसपी ने बताया कि धर्मेंद्र सिंह के बेटे गौरव उर्फ गोलू ने पुलिस को बताया है कि उनके पिता स्कूटी से गुरुवार की दोपहर लगभग 1:00 बजे निकले थे। वह लंच करने घर नहीं पहुंचे। एसएसपी ने बताया कि शाम लगभग 7:00 बजे गौरव ने पुलिस को फोन करके बताया कि उनके पिता को विश्वजीत प्रधान नामक एक व्यक्ति कब्जे में किए हुए है और 50 लाख रुपए की फिरौती मांग रहा है। बाद में वह 25 लाख रुपए देने को तैयार हो गए। लेकिन वह नहीं मान रहा है। एसएसपी ने बताया कि फोन आने के बाद उन्होंने गोलमुरी और साकची थाना प्रभारियों की एक टीम बनाई और धर्मेंद्र सिंह को बरामद करने के अभियान में पुलिस जुट गई। थोड़ी देर बाद विश्वजीत प्रधान ने वीडियो कॉलिंग कर धर्मेंद्र के बेटे गोलू को धर्मेंद्र का शव दिखाया। विश्वजीत प्रधान पुलिस को उलझाए हुए था। कभी वह बिष्टुपुर बुला रहा था। तो कभी सिदगोड़ा। कभी साकची। इससे पुलिस ने अनुमान लगा लिया कि वह कार में शहर घूम रहा है और पुलिस को चकमा दे रहा है। इसके बाद पुलिस ने शहर भर में चेकिंग अभियान चलाया। रात तकरीबन 2:30 बजे कदमा थाना प्रभारी ने कार समेत विश्वजीत को दबोच लिया। उधर विश्वजीत प्रधान ने पूछताछ में एसएसपी को बताया है कि धर्मेंद्र उसके घर कोई लड़की लेकर आया करते थे। गुरुवार को भी वह लड़की लेकर आए थे। तभी लड़की के परिजन संभवत उसके पति पहुंच गए। उन लोगों से विवाद हुआ और धर्मेंद्र प्रधान को के सर पर बैट मारकर उसकी हत्या कर दी गई। विश्वजीत प्रधान ने हत्या की घटना में खुद के शामिल होने की बात स्वीकार की है। उसने बताया कि जिन युवकों ने हत्या की वह कार चलाना नहीं जानते थे। विश्वजीत प्रधान डर गया और वह शव को ठिकाने लगाने के लिए इसे कार पर लेकर घूमने लगा। धर्मेंद्र सिंह रायबरेली के लालूपुर चौहान गांव के रहने वाले हैं। 40 साल पहले वह जमशेदपुर आ गए थे। उनके दो बेटे गौरव सिंह और एक बेटी अनुप्रिया सिंह हैं। धर्मेंद्र सिंह तीन भाइयों में सबसे छोटे थे।