राजधानी में शान व शौकत से मनाया गया ईदमिलादुन्नबी, नहीं निकला जुलूस
घर घर हुई फातेहा खानी,सुबह से शाम तक चलता रहा लंगर
खानकाहों, मस्जिदो में होती रही पैग़म्बर मोहम्मद के सीरत पर बयान
मोहम्मद आदिल रशीद, रांची: इस्लाम के पैगंबर हजरत मुहम्मद (सल्ल.) का जन्मदिवस जश्न ईद मिलादुन्नबी मंगलवार को राजधानी रांची समेत पूरे झारखंड में अक़ीदत व एहतराम के साथ मनाया गया। झारखंड सरकार के द्वारा जारी कोविड-19 की गाइड लाइन को देखते हुए सुन्नी बरेलवी सेंट्रल कमेटी, एदारा शरिया झारखंड और सेंट्रल मुहर्रम कमेटी ने यह फैसला लिया था कि शहर में ईद मिलादुन्नबी का जुलूस नहीं निकाला जाएगा। कमेटी के संरक्षक मो सईद, मौलाना कुतुबुद्दीन रिज़वी, अध्यक्ष मौलाना जसीम, महासचिव अकिलुर्रह्मान, आफताब आलम, हाजी रउफ गद्दी, मो फ़ारूक़ आदि ने कोविड-19 की गाइडलाइन को देखते इस वर्ष भी यह तय किया कि ईद मिलादुन्नबी का जुलूस मेन रोड़ में नहीं निकाला जाएगा। बच्चे मोहल्ले में ही घूमेंगे। इस पर रांची वासियों ने अमल किया। इस्लामी कलेंडर के तीसरा महीने माहे रबी उल अव्वल की 12 वीं तारीख को सुबह पैगंबर हजरत मुहम्मद (सल्ल.) के जन्म दिन पर मस्जिदों और घरों में सलात व सलाम पढ़ी गई। सोमवार रात से ही इबादत का दौर चला। ईदमिलादुन्नबी को लेकर घरों, चौक चौराहों, मोहल्लों व मस्जिदों में विशेष सजावट की गई। सद्भावना और शांति के प्रतीक रूप ध्वज लगाए गए। ईदमिलादुन्नबी को लेकर बाजारों में टोपियां, इत्र, इस्लामी झंडा, आदि की खरीदारी चलती रही। सुन्नी बरेलवी सेंट्रल कमेटी के संरक्षक मो सईद, मौलाना कुतुबुद्दीन, अध्यक्ष मौलाना जसीम, महासचिव अकिलुर्रह्मान, आफताब आलम के अनुसार कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए ईदमिलादुन्नबी मनाया गया। ईदमिलादुन्नबी पर तकरीरों में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब (सल्ल.) की जिंदगी के बारे में बताया गया।
हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल
हज़रत कुतुबुद्दीन रिसालदार बाबा दरगाह, ख़ानक़ाह अकबरिया
हर चौक चौराहों में बांटा गया लंगर
मेन रोड़ मधुबन मार्केट के पास एदारा ए शरिया के सरपरस्त मो सईद के द्वारा पूड़ी सब्जी, मीठा जर्दा, हलुआ वितरण किया गया। डोरंडा दरगाह कमिटि के अध्यक्ष हाजी रऊफ, महासचिव मो फ़ारूक़, शोएब, जावेद, अली अहमद, हाजी जाकिर और दरगाह कमिटि द्वारा डोरंडा में शर्बत, जर्दा, शकरपाला, लड्डू, बिरयानी, फल बांटा गया। थड़पखना मस्जिद के पास, मस्जिद औलिया, ग्वाला टोली चौक, सरफ़राज़ चौक, मस्जिद अकबरिया, इस्लामी मरकज, आजाद बस्ती, इस्लाम नगर, गुदरी चौक, कांटा टोली चौक, कुरैशी मोहल्ला, मौलाना आजाद कॉलोनी, मोरहाबादी, डोरंडा मजार शरीफ, यूनुस चौक, दर्जी मोहल्ला, खाजा नगर, और शहर के गली, चौक चौराहों में सुबह से शाम तक लंगर खानी का एहतेमाम हुआ। विभिन्न सामाजिक संस्था के द्वारा अंजुमन इस्लामिया अस्पताल सहित कई अस्पतालों में दवा वितरण किया गया सुन्नी बरेलवी सेंट्रल कमेटी के महासचिव अकिलुर्रह्मान ने बताया कि रांची शहर और आसपास में पुर अम्न माहौल में आपसी भाईचारा और इत्तेहाद के साथ जश्ने ईद मिलादुन्नबी मनाया गया। इस मौके पर विभिन्न जगहों पर उलेमा ग्राम बुद्धिजीवी आज रात में पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद की सीरत बयान करते हुए देश और दुनिया में अम्न सलामती और खुशहाली की दुआ मांगी। जश्न ईदमिलादुन्नबी के मौके पर अकिलुर्रह्मान, मो आफताब आलम, हाजी रऊफ गद्दी, मो फ़ारूक़, शोएब, हाजी ज़ाकिर, वारिश खान, हैदर गद्दी, जावेद गद्दी, मो रिज़वान, मो फ़ैज़, अब्दुल वाहिद, डॉ हसनैन, मो तौहीद, मो महजूद, सोहेल सईद, एस अली, अख्तर, मसूद फरीदी समेत कई लोग थे।
क्यों मनाया जाता है ईद मिलादुन्नबी
एदारा ए शरिया झारखंड के नाजिम आला हजरत मौलाना कुतुबुद्दीन रिज़्वी, हजऱत मौलाना फैजुल्लाह मिसबाही, मौलाना जसीमुद्दीन, कारी अय्यूब रिज़्वी, मौलाना डॉ ताजुद्दीन, अलकमा शिबली, मौलाना नाज़िश, कारी हाफिज नूर, हाफिज मुस्तफ़ा आदि ने अपने अपने क्षेत्र में तक़रीर की। उलेमा ने अपनी तक़रीर में कहा कि 571 ईसवी, को सऊदी अरब के शहर मक्का में पैगंबर इस्लाम हजऱत मोहम्मद सल्ल का जन्म हुआ था। इसी की याद में ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जाता है। हजरत मुहम्मद (सल्ल) ने ही इस्लाम धर्म को मजबूती के साथ पूरी दुनिया में कायम किया। आप हजरत मोहम्मद,(सल्ल) इस्लाम के आखिरी नबी हैं, आपके बाद अब कायामत तक कोई नबी नहीं आने वाला है। मक्का की पहाड़ी की गुफा, जिसे गार-ए-हिराह कहते हैं, मोहम्मद (सल्ल) को वहीं पर (अल्लाह) रब्बुल इज्जत ने फरिश्तों के सरदार हजऱत जिब्राइल, (अलै) के मार्फत पवित्र संदेश कुरआन सुनाया। (अल्लाह) रब्बुल इज्जत, के रसूल मोहम्मद, (सल्ल) से पहले पूरा अरब सामाजिक और धार्मिक बिगाड़ का शिकार था। लोग तरह-तरह के बुराइयों में मुब्तला थे। बेटी के जन्म होने पर जिंदा ज़मीन में गाड़ दिया जाता था। बूतों की पूजा करते थे। सैकड़ों की तादाद में, कबीले थे, जिनके अलग-अलग नियम और कानून थे। कमजोर और गरीबों पर जुल्म होते थे। आप मोहम्मद (सल्ल) ने लोगों को एक ईश्वरवाद की शिक्षा दी। अल्लाह की प्रार्थना पर बल दिया। लोगों को पाक-साफ रहने के नियम बताए। साथ ही सभी लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए भी इस्लामिक तरीके लोगों तक पहुंचाए। साथ ही (अल्लाह) रब्बुल इज्जत, के पवित्र संदेश को भी सभी लोगों तक पहुंचाया।