इफ्तेखार अली : भाजपा के दिग्गज नेता अर्जुन मुंडा इन दिनों जनता के चक्रव्यूह में बुरी तरह फंस गए हैं। खरसावां से विधानसभा चुनाव हारने के बाद अर्जुन मुंडा ने अपनी सियासत बचाने के लिए खूंटी लोकसभा सीट की शरण ली थी। जनता ने उन्हें यहां से जिता कर लोकसभा में पहुंचा भी दिया। मगर, फिर पांच साल में वह इनकी सियासत से वाकिफ हो गई और इस चुनाव में अर्जुन मुंडा को खूंटी से हार का मुंह देखना पड़ा। अब फिर अर्जुन मुंडा विधाानसभा चुनाव लड़ कर अपनी सियासत बचाने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। इसके लिए, उन्हें ऐसी नई सीट की तलाश है जहां की जनता इन्हें जाने-अनजाने स्वीकार कर ले। इसके लिए अर्जुन मुंडा की सियासी टीम प्रदेश की हर सीट पर नजर दौड़ा रही है। सूबे की कई सीटों पर मंथन चल रहा है। अर्जुन मुंडा जनता के चक्रव्यूह से निकलने की जुगत तलाश रहे हैं।
बड़े नेता होने के बाद भी आम जनता को नहीं साध पाए
अर्जुन मुंडा भाजपा की सियासत में एक बड़ा नाम है। वह कई बार झारखंड के सीएम रह चुके हैं। अर्जुन मुंडा ने कई बार लोकसभा चुनाव भी जीते और केंद्र में भी मंत्री रहे। खूंटी से लोकसभा चुनाव हारने के बाद अब फिर राज्य की राजनीति में दस्तक देने जा रहे हैं। इसके लिए उनकी कवायद शुरू हो चुकी है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अर्जुन मुंडा को अगर इस बारा चुनाव के बाद विधानसभा पहुंचने का मौका मिलता है तो उन्हें सीधे जनता से जुड़ना होगा।
चुनाव जीतने के बाद जनता से कट जाने का आरोप
भाजपा के वरिष्ठ नेता अर्जुन मुंडा पर आरोप लगाया जाता है कि वह चुनाव जीतने के बाद आम जनता के संपर्क में नहीं रह पाते। बड़ा नेता होने के नाते उन पर पार्टी के काम का बोझ रहता हो या फिर कोई और वजह हो। ऐसा होने से ही अर्जुन मुंडा आज तक अपनी एक ऐसी सीट नहीं बना पाए जहां से वह ताल ठोंक कर चुनाव जीत सकें। इसी के चलते अर्जुन मुंडा को खरसावां विधानसभा सीट से साल 2014 में चुनाव हारना पड़ा था। बताते हैं कि खरसावां से विधायक रहते वह सीएम बने थे। उन्होंने खरसावां में काफी काम कराया मगर, जनता के बीच नहीं रह पाए। उन्होंने जनता की सेवा के लिए एक प्रतिनिधि रख दिया था। अर्जुन मुंडा का ज्यादा समय रांची में गुजर रहा था। लोगों को लगा कि चुनाव जीतने के बाद अर्जुन मुंडा यहां नजर नहीं आ रहे और इसका उन्हें चुनाव में खमियाजा भुगतना पड़ा था। चूंकि, वह पूरे प्रदेश में भाजपा केे चुनाव की बागडोर संभाल रहे थे इसलिए उन्हें खरसावां को अधिक समय देने का मौका नहीं मिला। इस तरह, वह चुनाव के दौरान भी जनता के पास नहीं जा सके और जनता ने उन्हें सबक सिखा दिया। इसके बाद उन्होंने अगले लोकसभा चुनाव में खूंटी की पनाह ली। यहां की जनता ने उन्हें जिता कर लोकसभा पहुंचा दिया। इसके बाद अर्जुन मुंडा दिल्ली में ही रहने लगा। वह खूंटी को ज्यादा समय नहीं दे सके और इसकी भरपाई उन्हें साल 2024 के चुनाव में हार से करनी पड़ी।
… वरना फिर बन जाते सीएम
खरसावां की हार ने अर्जुन मुंडा की असफलता की पटकथा तैयार कर दी थी। क्योंकि, इसी वजह से वह झारखंड के सीएम होते होते रह गए और बाजी जमशेदपुर पूर्वी से लगातार चुनाव जीतने वाले रघुवर दास के हाथ लग गई। तब भाजपा ने रघुवर दास को सीएम बना दिया था। अर्जुन मुंडा हाथ मल कर रह गए। हालांकि, साल 2014 के चुनाव में भाजपा को जो बहुमत मिला था उसके पीछे अर्जुन मुंडा की ही मेहनत थी। भाजपा ने यह चुनाव अर्जुन मुंडा के चेहरे पर लड़ा था। अर्जुन मुंडा ने ही उम्मीदवारों का चयन किया था और चुनाव की सफल रणनीति तैयार की थी। राजनीतिक विश्लेषक भी अर्जुन मुंडा को एक सफल रणनीतिकार मानते हैं। मगर, ,खरसवां में उनकी हार ने उनके सारे किए कराए पर पानी फेर दिया था।
जानें किस सीट से लड़ सकते हैं चुनाव
अर्जुन मुंडा की निगाह जमशेदपुर लोकसभा सीट के तहत आने वाली घाटशिला और पोटका विधानसभा सीटों पर है। घाटशिला से वह साल 2014 में अपने एक करीबी नेता लक्ष्मण टुडू को चुनाव लड़वा कर जिता चुके हैं। इसलिए, इस सीट से अर्जुन मुंडा चुनाव लड़ सकते हैं। अभी इस सीट पर झामुमो के रामदास सोरेन काबिज हैं। रामदास ने पिछले विधानसभा चुनाव में दूसरी बार इस सीट पर जीत का परचम लहराया था। इसके पहले भी वह यहां से जीत दर्ज कर चुके थे। इसलिए, घाटशिला अर्जुन मुंडा के लिए मुफीद सीट मानी जा सकती है। इसके अलावा, अर्जुन मुंडा इन दिनों पोटका में भी सक्रिय हैं। यहां पिछले चुनाव में मेनका सरदार झामुमो के संजीव सरदार से हार गई थीं। मगर, यहां मेनका सरदार की दावेदारी मजबूत मानी जाती है। इसलिए, यहां अर्जुन मुंडा के चुनाव लड़ने की कम उम्मीद जताई जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अर्जुन मुंडा रांची संसदीय सीट की खिजरी से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार बराबर जीतते रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भी यहां से कांग्रेस के राजेश कच्छप चुनाव लड़े थे। मगर, अर्जुन मुंडा के करीबियों का मानना है कि इस सीट पर भाजपा का अच्छा खासा वोट बैंक है। इसलिए इसे अर्जुन मुंडा के लिए सेफ सीट माना जा रहा है।
अर्जुन मुंडा कब कहां से जीते चुनाव
साल 1995 में खरसवां से झामुमो के टिकट पर जीते थे चुनाव
इसके बाद साल 2000, 2005 और 2010 में वह खरसावां से भाजपा के टिकट पर जीते
साल 2014 में खरसावां विधानसभा से भाजपा के टिकट पर चुनाव हार गए।
साल 2019 के खूंटी लोकसभा से चुनाव जीते और लोकसभा सांसद बने।
साल 2024 में खूंटी से लोकसभा का चुनाव हार गए।